सुप्रीम कोर्ट में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा- इलाज के दौरान COVID-19 से खुद को बचाने के लिए 'अंतिम जिम्मेदारी' डॉक्टरों और नर्सों की
कोरोना से जंग | प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: PTI)

कोरोना वायरस से इस वक्त पूरी दुनिया जूझ रही है. उसमें भारत का नाम भी शामिल हैं. भारत में कोरोना वायरस से फ्रंट लाइन पर डॉक्टर, नर्स और मेडिकल टीम लगातार लड़ाई लड़ रहे हैं. इस कोरोना के कारण कई डॉक्टर और नर्स संक्रमित हो चुके हैं तो कई लोगों की मौत भी हुई है. लेकिन अब भी कोरोना से जंग लगातार जारी है. लाइव लॉ.in  की रिपोर्ट के मुताबिक इस बीच खबर आ रही है कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) ने सुप्रीम कोर्ट में दायर दायर एक हलफनामे में कहा कि COVID-19 से खुद को बचाने के लिए डॉक्टर, नर्स और मेडिकल स्टाफ की अपनी जिम्मेदारी है. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने कहा कि स्वास्थ्य सुविधा में अस्पताल संक्रमण नियंत्रण समिति संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण गतिविधियों को लागू करने के लिए जिम्मेदार है, लेकिन अंतिम जिम्मेदारी स्वास्थ्यकर्मियों के साथ है.

दरअसल उदयपुर की एक डॉक्टर अरुशी जैन याचिका दायर किया था. जिसमें कहा गया था कि कोरोना वायरस से लड़ रहे कोरोना वारियर्स की सुरक्षा और उन्हें संरक्षित करना बेहद जरूरी है. उसी हलफनामे के जवाब में सरकार ने कहा कि चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों की सलाह ली जा रही है. चूंकि चिकत्सक कर्मचारियों को पहले से ही उन्हें आत्म सुरक्षा की ट्रेनिंग दी गया है. ऐसे में वे अपनी सुरक्षा के स्वयं जिम्मेदार हैं. वैसे मंत्रालय इस बात को मानती है कि काम के दौरान इस तरह के जोखिम के शिकार हो सकते हैं. मंत्रालय की गाइडलाइंस में इसे कहा गया है.

गौरतलब हो कि पीपीई कीट के बावजूद कई डॉक्टर कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं. मौजूदा समय में देश के भीतर कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर 2 लाख 17 हजार के करीब पहुंच गया है. वहीं देश में मरीजों की ठीक होने की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है. जहां एक तरफ मरीजों की बढ़ती संख्या है वहीं डॉक्टर भी दिन-रात मेहनत कर मरीजों को ठीक करने की कवायद में लगे हुए हैं.