HC On Hindu Couple Divorce: हिंदू कपल बिना कोर्ट की अनुमति के तलाक नहीं ले सकते हैं, दिल्ली हाई कोर्ट ने की टिप्पणी
जस्टिस संजीव सचदेव और रजनीश भटनागर ने कहा कि चूंकि दोनों जोड़े हिंदू थे और उनकी शादी हिंदू मानदंडों के अनुसार हुई थी, अदालत के बाहर 100 रुपये के स्टांप पेपर पर आपसी सहमति से तलाक का कोई महत्व या अस्तित्व नहीं है.
Hindu Couple Cannot be Divorced Without Consent of Court: तलाक पर दिल्ली हाई कोर्ट ने दिया बड़ा फैसला. हाई कोर्ट का कहना है कि अगर हिंदू जोड़े आपस में राजी भी हो जाएं तो भी बिना कोर्ट की अनुमति के तलाक का फैसला नहीं ले सकते. हाई कोर्ट ने कोर्ट के बाहर 100 रुपए के स्टांप पेपर पर बने तलाक के कागज को अवैध करार दिया है. जस्टिस संजीव सचदेव और रजनीश भटनागर ने कहा कि चूंकि दोनों जोड़े हिंदू थे और उनकी शादी हिंदू मानदंडों के अनुसार हुई थी, अदालत के बाहर 100 रुपये के स्टांप पेपर पर आपसी सहमति से तलाक का कोई महत्व या अस्तित्व नहीं है. अदालत ने कहा कि इस तरह आपसी सहमति से बनाए गए दस्तावेज हिंदू विवाह अधिनियम के तहत अमान्य हैं. Supreme Court calendar for 2023: नए साल 2023 के लिए सुप्रीम कोर्ट का कैलेंडर जारी
मामले की सुनवाई के दौरान जब पति के वकील कोर्ट में आए और पति के वकील ने कोर्ट को बताया कि दोनों ने आपसी सहमति से पहले ही तलाक ले लिया है तो कोर्ट ने फैसला सुनाया कि तलाक अवैध और अप्रासंगिक है.
इसी साल मई में फैमिली कोर्ट में इस मामले के फैसले में कहा गया था कि पति पत्नी को भरण-पोषण के लिए प्रति माह सात हजार रुपये देगा, लेकिन पति ने कोर्ट को बताया कि वह हर महीने महज 15 हजार रुपए ही कमा पाता है. इसलिए उनके लिए सात हजार रुपये देना संभव नहीं है. उसके बाद पत्नी ने फैमिली कोर्ट को बताया कि उसका पति रियल एस्टेट के कारोबार से जुड़ा है और हर महीने 50 हजार से एक लाख रुपये कमाता है. पहले तो हाई कोर्ट फैमिली कोर्ट के फैसले में दखल नहीं देना चाहती थी, लेकिन फैमिली कोर्ट के फैसले के मुताबिक जजों ने पति को पत्नी को हर महीने 7 हजार रुपये देने को कहा.