Women's Reservation Bill: हम कुछ नही कर सकते... दिल्ली हाई कोर्ट ने महिला आरक्षण विधेयक लोकसभा चुनाव से पहले लागू कराने की मांग पर सुनवाई से किया इनकार
दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार, 13 दिसंबर को 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले महिला आरक्षण विधेयक 2023 को लागू करने की मांग वाली एक जनहित याचिका (PIL) पर विचार करने से इनकार कर दिया.
नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार, 13 दिसंबर को 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले महिला आरक्षण विधेयक 2023 को लागू करने की मांग वाली एक जनहित याचिका (PIL) पर विचार करने से इनकार कर दिया. महिला आरक्षण अधिनियम जिसे नारी शक्ति वंदन अधिनियम के नाम से भी जाना जाता है, लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण अनिवार्य करता है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और जस्टिस मिनी पुष्करणा की डिविजन बेंच ने यह भी कहा कि संसद पहले ही कह चुकी है कि परिसीमन प्रक्रिया के बाद अधिनियम के प्रावधान लागू होंगे और इसलिए अदालतें कुछ नहीं कर सकतीं. HC on Terrorist Act: क्या हिंदू नेता की हत्या की साजिश आतंकवादी कृत्य है?
बेंच ने अधिनियम की जांच की और कहा कि यदि याचिकाकर्ता अधिनियम का शीघ्र कार्यान्वयन चाहती है, तो उसे अधिनियम के प्रावधानों को चुनौती देनी होगी जो कहता है कि जनगणना और परिसीमन के बाद आरक्षण लागू किया जाएगा.
हाई कोर्ट ने कहा, "हम धारा 334ए (परिसीमन के बाद अधिनियम को लागू करने का प्रावधान) के पीछे नहीं जा सकते. आपको इसे रद्द करने के लिए प्रार्थना करनी होगी. हम कुछ नहीं कर सकते. संसद ने निर्दिष्ट किया है कि यह कब लागू होगा. कोई भी अदालत इसके विपरीत कैसे कार्य कर सकती है."
कोर्ट ने यह भी कहा कि अधिनियम के प्रावधानों को चुनौती देने वाली एक अन्य याचिका पहले ही सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर की जा चुकी है और इसलिए, याचिकाकर्ता भी शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है.
अदालत अधिवक्ता योगमाया एमजी द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें लोकसभा चुनाव से पहले अधिनियम को लागू करने की मांग की गई थी. केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा पेश हुए और कहा कि अधिनियम में ही एक प्रावधान है जो कहता है कि परिसीमन की कवायद होने के बाद यह लागू होगा.