Google | Pixabay
नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने गूगल पर 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है. दिग्गज कंपनी पर यह जुर्माना उसकी एक अपील को खारिज करते हुए लगाया गया है. हाई कोर्ट ने गूगल पर यह जुर्माना गलत तथ्य पेश करने और यूरोपीय पेटेंट कार्यालय (ईपीओ) द्वारा पेटेंट से इनकार करने के मामले में जानकारी का खुलासा करने में असफल करने के लिए लगाया गया है. जस्टिस प्रथिबा एम सिंह ने पेटेंट और डिजाइन के सहायक नियंत्रक के आवेदन को खारिज करने के आदेश के खिलाफ Google द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया. Read Also: बीयर और पानी की बोतल पर MRP से अधिक कीमत वसूलना रेस्टोरेंट को पड़ा भारी, कंज्यूमर कोर्ट ने लगाया जुर्माना.
दरअसल 'मल्टीपल डिवाइसेज पर इंस्टेंट मैसेजिंग सेशन के मैनेजमेंट' को लेकर Google ने दिल्ली हाईकोर्ट ने एक अपील दायर की थी. जिस पर अदालत ने मंगलवार (02 मार्च) को सुनवाई की. कोर्ट में अपनी अपील के साथ पर्याप्त तथ्यों के अभाव में अदालत ने गूगल का आवेदन खारिज करने के साथ एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया.
सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा, "मौजूदा अपील में अपीलकर्ता ने न सिर्फ अदालत के सामने गलत तथ्य पेश किए, बल्कि ईयू मूल आवेदन के इनकार के साथ-साथ परिणामस्वरूप दायर किए गए डिवीजनल आवेदन के बारे में जानकारी का खुलासा करने में भी विफल रहा."
नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने गूगल पर 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है. दिग्गज कंपनी पर यह जुर्माना उसकी एक अपील को खारिज करते हुए लगाया गया है. हाई कोर्ट ने गूगल पर यह जुर्माना गलत तथ्य पेश करने और यूरोपीय पेटेंट कार्यालय (ईपीओ) द्वारा पेटेंट से इनकार करने के मामले में जानकारी का खुलासा करने में असफल करने के लिए लगाया गया है. जस्टिस प्रथिबा एम सिंह ने पेटेंट और डिजाइन के सहायक नियंत्रक के आवेदन को खारिज करने के आदेश के खिलाफ Google द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया. Read Also: बीयर और पानी की बोतल पर MRP से अधिक कीमत वसूलना रेस्टोरेंट को पड़ा भारी, कंज्यूमर कोर्ट ने लगाया जुर्माना.
दरअसल 'मल्टीपल डिवाइसेज पर इंस्टेंट मैसेजिंग सेशन के मैनेजमेंट' को लेकर Google ने दिल्ली हाईकोर्ट ने एक अपील दायर की थी. जिस पर अदालत ने मंगलवार (02 मार्च) को सुनवाई की. कोर्ट में अपनी अपील के साथ पर्याप्त तथ्यों के अभाव में अदालत ने गूगल का आवेदन खारिज करने के साथ एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया.
सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा, "मौजूदा अपील में अपीलकर्ता ने न सिर्फ अदालत के सामने गलत तथ्य पेश किए, बल्कि ईयू मूल आवेदन के इनकार के साथ-साथ परिणामस्वरूप दायर किए गए डिवीजनल आवेदन के बारे में जानकारी का खुलासा करने में भी विफल रहा."