Sudarshan TV: दिल्ली हाईकोर्ट ने सुदर्शन टीवी के 'बिंदास बोल' कार्यक्रम के प्रसारण को रोकने से किया मना
दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने शुक्रवार को सुदर्शन टीवी (Sudarshan TV) के 'बिंदास बोल' (Bindas Bol) कार्यक्रम के प्रसारण को रोकने से मना कर दिया है. चैनल ने हाल ही में एक प्रोमो जारी कर दावा किया कि चैनल 'सरकारी सेवा में मुसलमानों को अधिक संख्या में शामिल करने की साजिश का बड़ा खुलासा' करेगा.
नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने शुक्रवार को सुदर्शन टीवी (Sudarshan TV) के 'बिंदास बोल' (Bindas Bol) कार्यक्रम के प्रसारण को रोकने से मना कर दिया है. चैनल ने हाल ही में एक प्रोमो जारी कर दावा किया कि चैनल 'सरकारी सेवा में मुसलमानों को अधिक संख्या में शामिल करने की साजिश का बड़ा खुलासा' करेगा. इसके साथ ही जस्टिस नवीन चावला (Navin Chawla) ने केंद्र सरकार और सुदर्शन टीवी को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.
सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने सुदर्शन न्यूज को 'बिंदास बोल' कार्यक्रम प्रसारित करने की पहले ही अनुमति दे दी है. जिसके खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी. हालांकि दिल्ली हाईकोर्ट ने इससे पहले संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) में मुस्लिम समुदाय के चयन के मुद्दे पर दिखाए जाने वाले इस टीवी कार्यक्रम के प्रसारण पर अस्थायी रूप से रोक लगाई थी. कोर्ट ने सुदर्शन टीवी के मुसलमानों से संबंधित कार्यक्रम के प्रसारण पर रोक लगाई
दरअसल सुदर्शन टीवी ने सोशल मीडिया पर अपने कार्यक्रम का एक प्रोमो वीडियो जारी किया था, जिसे काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा. दिल्ली हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि प्रस्तावित प्रसारण में जामिया मिलिया इस्लामिया, उसके पूर्व छात्रों और मुस्लिम समुदाय के खिलाफ घृणा और नफरत फैलाने की कोशिश की गई है. साथ ही याचिका में कहा गया है कि सुदर्शन न्यूज के एडिटर-इन-चीफ सुरेश चव्हाणके (Suresh Chavhanke) के जामिया मिलिया इस्लामिया और मुस्लिम समुदाय के छात्रों के खिलाफ अभद्र भाषा और मानहानि के आरोप पहले से लगे हुए हैं.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने के 'बिंदास बोल' कार्यक्रम पर प्रसारण-पूर्व प्रतिबंध लगाने से इनकार किया था. बीते 28 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कार्यक्रम के प्रसारण पर कोई रोक न लगाते हुए कहा, "हम ध्यान दें कि सक्षम प्राधिकरण, वैधानिक प्रावधानों के तहत कानून के पालन को सुनिश्चित करने के लिए शक्तियों के साथ निहित है, जिसमें सामाजिक सौहार्द और सभी समुदायों के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को सुनिश्चित करने के लिए आपराधिक कानून के प्रावधान भी शामिल हैं."
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया, न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन और सुदर्शन न्यूज़ को फ़िरोज़ इक़बाल खान नामक एक वकील द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया है. सभी पक्षों को 15 सितंबर तक नोटिस का जवाब देने का निर्देश दिया गया है. (एजेंसी इनपुट के साथ)