दिल्ली हाईकोर्ट ने वीवो को अपने बैंक खाते कुछ शर्तो के साथ संचालित करने की दी अनुमति
Vivo (Photo: Facebook)

नई दिल्ली, 13 जुलाई : दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने बुधवार को चीनी स्मार्टफोन निर्माता वीवो को 950 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी प्रस्तुत करने और अपने खातों में 250 करोड़ रुपये बनाए रखने की शर्त पर अपने बैंक खातों को संचालित करने की अनुमति दी. न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की पीठ ने अपने जमे हुए बैंक खातों को संचालित करने की अनुमति देने वाली वीवो की याचिका पर सुनवाई करते हुए कंपनी से सात कार्य दिवसों के भीतर निर्देशों का पालन करने को कहा.अदालत ने चीनी फर्म को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को अपनी बैंक गतिविधियों और प्रेषण के बारे में विवरण प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया और मामले को आगे की सुनवाई के लिए 28 जुलाई को पोस्ट किया.

पिछली सुनवाई में वीवो के वकील सिद्धार्थ लूथरा और सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा था कि नौ बैंक खाते फ्रीज कर दिए गए हैं, जिनमें करीब 250 करोड़ रुपये हैं. पिछले हफ्ते ईडी ने स्मार्टफोन निर्माता वीवो समेत चीनी कंपनियों के 22 राज्यों के 44 ठिकानों पर छापेमारी की थी. जांच एजेंसी ने तर्क दिया कि वीवो ने अपनी कुल बिक्री का 50 फीसदी यानी 62,476 करोड़ रुपये चीन को भेजे. ईडी ने आरोप लगाया कि उसने पिछले दो वर्षों में लगभग 1.20 लाख करोड़ रुपये कमाए, लेकिन करों का भुगतान करने से बचने के लिए इसमें से लगभग आधे का भुगतान किया. ईडी ने कहा कि इससे भारतीय निगमित कंपनियों को भारी नुकसान हुआ है. यह भी पढ़ें : Gujarat: राजकोट में दो नाबालिग लड़कियों से बलात्कार के दोषी को 20 साल की सजा

छापेमारी के बाद वीवो ने हाई कोर्ट का रुख किया था. अपनी याचिका में, वीवो ने कहा कि उसके खिलाफ आदेश धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 17 के जनादेश के विपरीत हैं, चूंकि इसमें फ्रीजिंग का कोई कारण नहीं होता है, बैंक खाते को फ्रीज क्यों किया जाना चाहिए, इस पर 'विश्वास करने के कारण' की बात तो छोड़ ही दें. याचिका में कहा गया है कि यह बिना सोचे-समझे यांत्रिक रूप से पारित एक सामान्य आदेश है.

इसने आगे कहा कि जमे हुए खातों का उपयोग वेतन और वैधानिक बकाया के भुगतान, याचिकाकर्ता के संचालन के लिए क्रेडिट पत्र खोलने और याचिकाकर्ता के दिन-प्रतिदिन के कामकाज के लिए आवश्यक सभी प्रकार के खचरें के लिए किया जाता है. लगभग 2,826 करोड़ रुपये का मासिक भुगतान वैधानिक बकाया, वेतन, किराया, दैनिक व्यवसाय संचालन के लिए धन आदि के लिए किया जाना है. बैंक खातों को फ्रीज करने के कारण, याचिकाकर्ता अपने उपरोक्त दायित्वों को पूरा करने में असमर्थ होगा.