बिहार में लीची से होने वाले संदिग्ध AES से अब तक 73 मासूमों की मौत, मुजफ्फरपुर में दर्जनों भर्ती
बिहार (Bihar) के मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) में लीची से होने वाली संदिग्ध एईएस (एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम) से बच्चों की मौत का सिलसिला जारी है. एईएस (Acute Encephalitis Syndrome) के कारण हुए 'चमकी बुखार' से अब तक 69 मासूमों की जान चली गई है. वहीं इससे पीड़ित दर्जनों बच्चो का इलाज अस्पताल में चल रहा है.
पटना: बिहार (Bihar) के मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) में लीची से होने वाली संदिग्ध एईएस (एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम) से बच्चों की मौत का सिलसिला जारी है. एईएस (Acute Encephalitis Syndrome) के कारण हुए 'चमकी बुखार' से अब तक 73 मासूमों की जान चली गई है. वहीं इससे पीड़ित दर्जनों बच्चो का इलाज अस्पताल में चल रहा है. अधिकारियों के मुताबिक ये मौतें हाइपोग्लीसेमिया की वजह से हुई हैं. यह ऐसी स्थिति है जिसमें ब्लड शुगर का स्तर बहुत घट जाता है और इलेक्ट्रोलाइट असंतुलित हो जाते हैं.
न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक एईएस की चपेट में आने से अब तक 73 बच्चो ने दम तोड़ दिया. इसमें से श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 59 और केजरीवाल अस्पताल में 11 की मौत हुई. डॉक्टरों के मुताबिक एईएस कोई बीमाारी नहीं है. इसमें कई रोग (डिजीज) पाए जाते हैं, जिसमें से एक 'चमकी बुखार' भी है.
गौरतलब हो कि पिछले दो दशकों से यह बीमारी मुजफ्फरपुर सहित राज्य के कई इलाकों में होती है, जिसके कारण अब तक कई बच्चे असमय काल के गाल में समा चुके हैं. परंतु अब तक सरकार इस बीमारी से लड़ने के कारगर उपाय नहीं ढूढ़ पाई है. कई चिकित्सक इस बीमारी को 'एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम' बताते हैं.
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विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट की मानें तो अधपकी लीची एईएस का कारण हो सकता है. दरअसल लीची में पाया जाने वाला एक विशेष प्रकार का तत्व इस बुखार का कारण हो सकता है. खास बात यह है कि एईएस से होने वाला बुखार फैलने का दौर अमूमन मुजफ्फरपुर जिले में लीची के उत्पादन के मौसम में होता है.
इस बीमारी के शिकार आमतौर पर गरीब परिवारों के बच्चे होते हैं. 15 वर्ष तक की उम्र के बच्चे इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं, और मृतकों में अधिकांश की आयु एक से सात वर्ष के बीच है. एईएस से ग्रसित बच्चों को पहले तेज बुखार और शरीर में ऐंठन होता है और फिर वे बेहोश हो जाते हैं.