नई दिल्ली, 7 अगस्त: लोकसभा ने सोमवार को विपक्ष के शोर-शराबे के बीच डिजिटल वैयक्तिक डेटा प्रोटेक्शन बिल, 2023 को ध्वनिमत से पारित कर दिया विपक्ष ने व्यवस्था का प्रश्न उठाने के उनके अनुरोध को अस्वीकार किए जाने के बाद सदन से बहिर्गमन किया. यह भी पढ़े: डेटा लीक होने पर कंपनियों पर लगेगा 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना, जानें क्या है डाटा प्रोटेक्शन बिल
व्यवस्था का प्रश्न भाजपा सांसद निशिकांत दुबे द्वारा कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी पर लगाए गए आरोपों पर था लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने पार्टी के अन्य सदस्यों के साथ व्यवस्था का प्रश्न उठाने की कोशिश की, लेकिन कार्यवाही का संचालन कर रहे किरीट सोलंकी ने इसकी अनुमति नहीं दी
यहां तक कि बीजू जनता दल के भर्तृहरि महताब को भी विधेयक पारित होने पर सदन में व्यवस्था की कमी पर नाराजगी व्यक्त करते देखा गया उन्हें यह कहते हुए सुना गया कि जब सदन में व्यवस्था नहीं हो तो विधेयक पारित नहीं किया जा सकता और अगर विधेयक पारित करने का यही तरीका है तो सदन को सभी विधेयक पारित कर देने चाहिए.
जब सदन में एक घंटे की चर्चा के बाद डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक पारित हो गया, तो कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष ने बहिर्गमन किया आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्री अश्विनी वैष्णव ने विधेयक का संचालन करते हुए कहा कि इसमें जनता के डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करने के सभी प्रावधान हैं.
उन्होंने कहा कि इसे सरल भाषा में तैयार किया गया है, यह लैंगिक रूप से संवेदनशील है और वैधता के सिद्धांतों पर आधारित है वैष्णव ने आगे कहा कि बिल डेटा को कम करना, डेटा की सटीकता और डेटा भंडारण पर समय सीमा भी सुनिश्चित करता है विधेयक पर चर्चा में विभिन्न दलों के आठ सांसदों ने भाग लिया उन्होंने स्वतंत्र नियामक की कमी पर चिंता जताई महताब ने यहां तक कहा कि विधेयक डेटा संरक्षण के बजाय डेटा प्रोसेसिंग के बारे में अधिक था.
वैष्णव ने सदस्यों की आशंकाओं को दूर करते हुए कहा कि सरकार ने कुछ "वैध कारण" पेश किए हैं, जहां सरकार और निजी संस्थाएं स्पष्ट सहमति के बिना नागरिकों के डेटा को प्रोसेस नहीं कर सकतीं उन्होंने कहा कि यह प्लेटफार्मों पर बच्चों के डेटा के प्रोसेसिंग पर प्रतिबंध भी लगाएगा विधेयक में यह भी कहा गया है कि भारत के पास डेटा संरक्षण बोर्ड के रूप में अपना डेटा सुरक्षा नियामक होगा बोर्ड के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाएगी
इसके अलावा, विधेयक में ऐसे प्रावधान भी हैं जो सरकार को व्यापक छूट देते हैं प्रस्तावित कानून कहता है कि इसके प्रावधान केंद्र या राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित निकायों द्वारा निजी डाटा के प्रोसेसिंग पर लागू नहीं होंगे.