माकपा के दिग्गज ईएमएस नंबूदरीपाद चाहते थे बाबरी मस्जिद को ध्वस्त किया जाए: कांग्रेस
केपीसीसी अध्यक्ष और कांग्रेस के लोकसभा सदस्य के. सुधाकरन ने शुक्रवार को कहा कि अयोध्या मुद्दा 1987 में ही 'बिगड़ना' शुरू हो गया था, जब तत्कालीन शीर्ष माकपा के दिग्गज ईएमएस नंबूदरीपाद ने राय दी थी कि इस मुद्दे को हल करने के लिए बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया जाना चाहिए.
तिरुवनंतपुरम, 12 जनवरी : केपीसीसी अध्यक्ष और कांग्रेस के लोकसभा सदस्य के. सुधाकरन ने शुक्रवार को कहा कि अयोध्या मुद्दा 1987 में ही 'बिगड़ना' शुरू हो गया था, जब तत्कालीन शीर्ष माकपा के दिग्गज ईएमएस नंबूदरीपाद ने राय दी थी कि इस मुद्दे को हल करने के लिए बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया जाना चाहिए.
के. सुधाकरन ने कहा, ''1989 में वीपी सिंह सरकार को माकपा और भाजपा का समर्थन प्राप्त था और यही कारण था कि अयोध्या मुद्दा और बिगड़ गया. तथ्य यह है कि माकपा ने अपना उम्मीदवार इंडिया गंठबंधन में नहीं भेजा है. यह भाजपा के साथ उनके गुप्त संबंध को दर्शाता है. यही कारण है कि पांच केंद्रीय एजेंसियों की जांच के बावजूद मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई और एसएनसी लवलीन मामले को 37 बार स्थगित किया गया है.'' यह भी पढ़ें : सुप्रीम कोर्ट का महिला आरक्षण विधेयक को तत्काल लागू करने की मांग वाली याचिका पर विचार से इनकार
के. सुधाकरन माकपा की उस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया दे रहे थे, जिसमें उन्होंने कहा था कि उनके दबाव के कारण ही कांग्रेस ने अयोध्या में राम लला की 'प्राण प्रतिष्ठा' से दूर रहने का फैसला किया. सुधाकरन ने कहा, "आज, माकपा के मामले सिर्फ दो लोग तय करते हैं- ससुर और दामाद का गठबंधन (विजयन और राज्य लोक निर्माण मंत्री पीए मोहम्मद रियास), जबकि कांग्रेस पार्टी में यह अलग है, क्योंकि यह सबसे लोकतांत्रिक राजनीतिक दलों में से एक है और निर्णय विचार-विमर्श के बाद लिए जाते हैं."