नई दिल्ली: कोरोना वायरस के डेल्टा (Delta Variant) और डेल्टा प्लस वैरिएंट (Delta Plus Variant) भारत समेत दुनियाभर में चिंता का सबसे बड़ा कारण बन गया है. यहां तक कहा जा रहा है कि देश में कोरोना की संभावित तीसरी लहर आती है तो डेल्टा प्लस वेरिएंट इसकी वजह बन सकता है. देश के अधिकांश राज्यों से डेल्टा और डेल्टा प्लस वेरिएंट के मामले सामने आ चुके हैं. इस बीच एक नई स्टडी से चिंता और बढ़ा दी है. स्टडी के अनुसार चीन के वुहान से आए कोरोना के मूल वेरिएंट की तुलना में कोरोना वायरस का डेल्टा वेरिएंट, वैक्सीन द्वारा उत्पन्न एंटीबॉडी के प्रति आठ गुना कम प्रभावी है. कोरोना वायरस की तीसरी लहर की आशंका? जानिए इससे जुड़े कुछ महत्वपूर्ण सवालों के जवाब.
स्टडी में दावा किया गया है, भारत में डेल्टा वेरिएंट का प्रभुत्व पहले से संक्रमित व्यक्तियों में एंटीबॉडी को निष्क्रिय करने और वायरस की संक्रामकता में बढ़ोतरी से प्रेरित है. बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा कोरोना वायरस के B.1.617.2 या डेल्टा वैरिएंट को पहले ही 'चिंता का एक रूप' करार दिया जा चुका है.
नई स्टडी में पाया गया कि बी.1.617.2 डेल्टा स्वरूप न केवल गैर-डेल्टा संक्रमणों (सीटी मूल्य 16.5 बनाम 19) की तुलना में फेफड़ों की कोशिकाओं को अधिक प्रभावित करता है. साथ ही वुहान स्ट्रेन की तुलना में अधिक लोगों को संक्रमित कर सकता है. यह पूरी तरह से टीकाकरण करा चुके लोगों को भी चपेट में ले सकता है. यह स्टडी सर गंगा राम अस्पताल (एसजीआरएच) सहित भारत के तीन केंद्रों पर 100 से अधिक स्वास्थ्य कर्मियों (एचसीडब्ल्यू) पर किया गया था.
इंस्टीट्यूट ऑफ क्लिनिकल माइक्रोबायोलॉजी एंड इम्यूनोलॉजी, एसजीआरएच के अध्यक्ष डॉ. चंद वट्टल ने कहा, "इस स्टडी से, ऐसा प्रतीत होता है कि कोविड-19 महामारी अभी काफी समय तक रह सकती है, यदि हम अपनी सुरक्षा को कम करते हैं और खुद को इस वायरस का शिकार होने का मौका देते है तो ये उत्परिवर्तन (म्यूटेशन) होना तय है."
उन्होंने कहा, "यह पूरी तरह से टीकाकरण करा चुके लोगों के लिए आंख खोलने जैसा है कि आप टीकाकरण के नाम पर एहतियाती उपायों को कम नहीं कर सकते हैं. वायरस शिकार पर है, अभी भी अपने शिकार की तलाश में है. यह म्यूटेंट बढ़ी हुई स्पाइक प्रोटीन के साथ वापस आ गया है जिसमें वुहान स्वरूप की तुलना में लोगों को संक्रमित करने की अधिक क्षमता है."