नई दिल्ली: देश में कोरोना (Coronavirus) का संक्रमण लगातार बढ़ते ही जा रहा हैं. कोरोना के बढ़ते संकट के बीच ऑक्सीजन (Oxygen) की भी भारी किल्लत चल रही है. मरीजों के लिए ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं हो रहा हैं. पिछले साल मार्च में शुरू हुए कोरोना संकट के बाद भी देश में इसका स्टॉक बनाए रखने के लिए सरकार ने ध्यान नहीं दिया. पिछले साल अप्रैल से इस साल जनवरी के बीच ऑक्सीजन का डिमांड दोगुना बढ़ा है. दिल्ली के LNJP अस्पताल को पहुंचाई गई 10 टन ऑक्सीजन, टला संकट
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी किए गये आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल से जनवरी 2021 के बीच भारत से ऑक्सीजन का निर्यात दोगुना होकर 9,301 टन तक पहुंच गया. इससे करीब 8.9 करोड़ रुपये की कमाई हुई.
केंद्र सरकार ने कहा, ये दुर्भावनापूर्ण प्रचार किया जा रहा है कि भारत ने 2020-21 के महामारी के दौरान दूसरे देशों को मेडिकल ऑक्सीजन का निर्यात किया था. निर्यात की जाने वाली तरल ऑक्सीजन की दो श्रेणियां है- मेडिकल और औद्योगिक. अप्रैल 2020 से फरवरी 2021 के दौरान भारत ने 9884 मीट्रिक टन औद्योगिक ऑक्सीजन का निर्यात किया, जबकि केवल 12 मीट्रिक टन ही मेडिकल ऑक्सीजन दूसरे देशों को दी गई. यह वार्षिक निर्यात भारत में कुल वार्षिक उत्पादन क्षमता का 0.4% से कम है.
Malicious propaganda is being spread that India had exported scarce medical oxygen during the pandemic year of 2020-21. This is absolutely false and industrial oxygen exports are being mistaken as medical oxygen: Government sources
— ANI (@ANI) April 21, 2021
सरकार ने आगे कहा, औद्योगिक ऑक्सीजन का निर्यात अधिकांश मात्रा में दिसंबर और जनवरी में हुआ, जब देश में मेडिकल ऑक्सीजन की खपत 2675 मीट्रिक टन (सितंबर महीने में) प्रतिदिन से घटकर 1418 मीट्रिक टन प्रतिदिन हो गई थी. उस समय देश में करीब 7000 मीट्रिक टन प्रतिदिन ऑक्सीजन प्रोडक्शन होता था, परिणामस्वरूप ऑक्सीजन उद्योग से जुड़े लोगों की नौकरियों को बचाने के यह कदम उठाया गया. साथ ही मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति को भी कोई खतरा नहीं था.
बता दें कि मेडिकल ऑक्सीजन कोरोना के संक्रमण से जूझ रहे गंभीर मरीजों के इलाज के लिए काफी महत्वपूर्ण संसाधन होता है. कोरोना की नई लहर में देश के ज्यादातर राज्यों में ऑक्सीजन की भारी किल्लत देखी जा रही है. इसे दूर करने के लिए अब केंद्र सरकार ने उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया है. कोरोना के इलाज में ऑक्सीजन की किल्लत को दूर करने के लिए अब निजी और सरकारी कंपनियों ने ऑक्सीजन देने की पहल की है.
सरकार ने आगे कहा, औद्योगिक ऑक्सीजन का निर्यात अधिकांश मात्रा में दिसंबर और जनवरी में हुआ, जब देश में मेडिकल ऑक्सीजन की खपत 2675 मीट्रिक टन (सितंबर महीने में) प्रतिदिन से घटकर 1418 मीट्रिक टन प्रतिदिन हो गई थी. उस समय देश में करीब 7000 मीट्रिक टन प्रतिदिन ऑक्सीजन प्रोडक्शन होता था, परिणामस्वरूप ऑक्सीजन उद्योग से जुड़े लोगों की नौकरियों को बचाने के यह कदम उठाया गया. साथ ही मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति को भी कोई खतरा नहीं था.
बता दें कि मेडिकल ऑक्सीजन कोरोना के संक्रमण से जूझ रहे गंभीर मरीजों के इलाज के लिए काफी महत्वपूर्ण संसाधन होता है. कोरोना की नई लहर में देश के ज्यादातर राज्यों में ऑक्सीजन की भारी किल्लत देखी जा रही है. इसे दूर करने के लिए अब केंद्र सरकार ने उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया है. कोरोना के इलाज में ऑक्सीजन की किल्लत को दूर करने के लिए अब निजी और सरकारी कंपनियों ने ऑक्सीजन देने की पहल की है.