Covaxin Efficacy: स्वदेशी ‘कोवैक्सीन’ कोरोना वायरस के खिलाफ 77.8% असरदार, तीसरे चरण की क्लीनिकल ट्रायल रिपोर्ट आई सामने
कोवैक्सीन (Photo Credits: PTI)

नई दिल्ली: भारत की पहली स्वदेशी रूप से विकसित कोविड-19 वैक्सीन कोवैक्सीन (Covaxin) 77.8 फीसदी असरदार है. हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक ने कोवैक्सीन के फेज-3 क्लीनिकल ट्रायल का डाटा भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) को सौंपा था. जिसे एसईसी (Subject Expert Committee) ने आज रिव्यु किया. अप्रैल महीने में कंपनी ने दावा किया था कि कोवैक्सिन के तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल के नतीजों ने कोरोना के हल्के, मध्यम और गंभीर मामलों के खिलाफ 78 प्रतिशत की प्रभावकारिता दिखाई.

कोवैक्सीन को लेकर हुए अध्ययनों से पता चलता है कि इसने ब्राजील में सबसे पहले पहचाने गए सार्स-सीओवी-2, बी11282 के साथ ही अल्फा वैरिएंट, बी 117 को भी प्रभावी ढंग से बेअसर कर दिया है, जिसे पहली बार ब्रिटेन में पहचाना गया था. इसके अलावा इसे डेल्टा वैरिएंट, बी1617, जिसे पहली बार भारत में पहचाना गया था, उस पर भी प्रभावी बताया गया है. Covaxin की तुलना में Covishield से बनती है ज्यादा एंटीबॉडी, स्टडी में हुआ खुलासा

बीते हफ्ते ही अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में 6 से 12 साल के बच्चों पर इस कोरोना वैक्सीन का ट्रायल शुरू किया गया और स्क्रीनिंग भी शुरू हुई. जबकि एम्स पटना में में इस आयु वर्ग के बच्चों पर कोवैक्सीन का ट्रायल शुरू हो चुका है. यह परीक्षण यह सुनिश्चित करेगा कि भारत बायोटेक की वैक्सीन बच्चों के लिए उपयुक्त है या नहीं.

दिल्ली एम्स ने 12-18 आयु वर्ग के लिए सिंगल डोज कोवैक्सीन की भर्ती और क्लिनिकल ट्रायल खत्म होने के बाद यह ट्रायल ड्राइव शुरू करने का फैसला किया. यह परीक्षण 525 केंद्रों पर हो रहे हैं. दिल्ली AIIMS के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया का दावा, कोरोना के हल्के लक्षणों में CT-Scan कराना हानिकारक है

भारत के ड्रग रेगुलेटर द्वारा 2 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों में कोवैक्सीन के दूसरे और तीसरे चरण के क्लिनिकल परीक्षण की अनुमति दी गई है. मैसूर मेडिकल कॉलेज और कर्नाटक में अनुसंधान संस्थान को भी बच्चों पर क्लिनिकल परीक्षण करने के लिए चुना गया है.

भले ही कोरोना वायरस की दूसरी लहर की रफ्तार धीमी पड़ गई है, लेकिन एक्सपर्ट तीसरी लहर की संभावना जता रहे हैं. विशेषज्ञों एवं वैज्ञानिकों की ओर से कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों पर खतरा अधिक बताया जा रहा है, जिसकी वजह से पूरी दुनिया में बच्चों पर वैक्सीन का ट्रायल किया जा रहा है. छोटे बच्चों पर कोवैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल कराने का उद्देश्य देश में कोरोना की तीसरी लहर शुरू होने के पहले उन्हें वैक्सीनेशन में शामिल किया जाना है.