चीन की नापाक हरकतों से अब पूरी दुनिया वाकिफ हो चुकी है. भारत और चीन के बीच उस वक्त तनाव बढ़ गया जब 15 जून को गलवान घाटी में हिंसक झड़प में भारत के 20 सैनिकों के शहीद हो गए. इस हमले में भारतीय सेना ने 50 से ज्यादा चीनी सैनिकों को मार गिराया था. लेकिन चीन की इस हरकत को भारत ने गंभीरता से लिया और वहीं भारत ने भी चीन को चीन आंखो में आंख डालकर बात करना शुरू कर दिया है. जिसके बाद चीन अच्छी तरह से समझ गया है कि अब उसकी धौंस का कोई असर भारत पर नहीं पड़ने वाला है. भारत ने जब आंखे तरेरी तो चीन शांति की बात करने लगा है. इसी कड़ी में भारत-चीन के बीच कमांडर स्तर की वार्ता मंगलवार को लद्दाख के चुशूल में होगी. जिसमें दोनों देशों के बीच तनाव कम करने और सेना के पीछे हटने के दूसरे चरण को लेकर चर्चा की जाएगी.
बता दें कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी की फोन पर करीब दो घंटे की बातचीत के बाद ही पिछले सोमवार सुबह से सैनिकों के पीछे हटने की औपचारिक प्रक्रिया शुरू कर दी थी. भारत इस बात पर जोर देता रहा है कि चीन को फिंगर चार और आठ से अपनी सेनाएं हटानी होंगी. क्षेत्र के पहाड़ों को फिंगर कहा जाता है. वहीं फिंगर चार से चीनी सेना ने अपने और सैनिकों को वापस बुला लिया है और उन्होंने पैंगोंग झील से कुछ नाव हटा ली हैं.
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Corps Commander-level talks between India and China to be held tomorrow at Chushul in Eastern Ladakh. The talks will focus mainly on the second phase of disengagement along the Line of Actual Control (LAC): Indian Army officials pic.twitter.com/rkAcFevKiH
— ANI (@ANI) July 13, 2020
बता दें कि इससे पहले शुक्रवार को भारत और चीन ने राजनयिक स्तर की एक और दौर की बातचीत की थी जिसमें दोनों पक्षों ने शांति कायम करने के लिए समयबद्ध तरीके से पूर्वी लद्दाख में पूरी तरह से सेनाओं को पीछे हटाने का संकल्प लिया था.