कोरोना महामारी: भारत ने बनायी कोविड-19 उपचार के लिए दो दवाइयां, जानिए कैसे होगा उनका प्रयोग
कोरोना को लेकर खबर आयी है कि भारत के वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस के असर को कम करने के लिए दो दवाईयां बनायी हैं.। इन दवाईयों को जल्द ही ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) से मान्यता मिल जाएगी और मान्यता मिलते ही बाज़ार में आ जाएंगी.
कोरोना को लेकर खबर आयी है कि भारत के वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस (Coronavirus) के असर को कम करने के लिए दो दवाईयां बनायी हैं. इन दवाईयों को जल्द ही ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) से मान्यता मिल जाएगी और मान्यता मिलते ही बाज़ार में आ जाएंगी. प्रसार भारती से बातचीत में राम मनोहर लोहिया अस्पताल, नई दिल्ली के चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. देश दीपक ने बताया कि यह भारत के लिए बहुत पॉजिटिव खबर है. दो दवाईयों को डीसीजीआई की तरफ से अनुमति मिलने जा रही है। इनमें से एक माइल्ड लक्षण वाले मरीजों के लिए होगी. यह टैबलेट के रूप में दी जाएगी. दूसरी दवा गंभीर रूप से बीमार मरीजों के लिए होगी, जो इंजेक्शन के रूप में दी जाएगी. डीसीजीआई से अनुमति मिलते ही इसका उत्पादन शुरू हो जाएगा और फिर यह बाज़ार में आ जाएगी.
उन्होंने कहा कि इन दवाईयों से कोरोना के मरीजों के ठीक होने की उम्मीद है. हालांकि अभी भी दवाईयों पर रिसर्च जारी है. डॉ. देश दीपक ने बताया कि वैक्सीन के निमार्ण को फास्ट ट्रैक किया जा रहा है। जो प्रोसेस आम तौर पर दो साल लेता है, उसे एक दो महीनों में पूरा करके वैक्सीन पर काम चल रहा है. कुछ पहले से मौजूद वैक्सीन को मॉडीफाई किया जा रहा है. जितने भी तरीके हैं उन सबको अपनाया जा रहा है. उम्मीद है साल के अंत तक वैक्सीन आ जाएगी. यह भी पढ़े: ब्रिटेन के शोधकर्ताओं का दावा, डेक्सामेथासोन पहली दवा है जो कोरोना वायरस रोगियों के जीवन को बचा सकती है
क्या वायरस की क्षमता में परिवर्तन हुआ है?
इस सवाल पर डॉ. दीपक ने कहा वायरस में कोई बदलाव आया है या नहीं, या इसके असर में कोई परिवर्तन हुआ है, इस बात के भी कोई प्रमाण नहीं हैं। वायरस का संक्रमण भी हमारे देश में अब बढ़ गया है. लेकिन हां 80 प्रतिशत लोगों को उपचार की जरूरत नहीं होती और वो अपने आप ठीक हो जाते हैं.जो बचे हुए लोग हैं उन्हें अस्पताल में रख कर निगरानी की जाती है और वो भी ठीक हो जाते हैं। शुरू से ही देखा गया है कि जिन्हें पहले से कोई बीमारी है या बुजुर्ग हैं वो ज्यादा गंभीर रूप से बीमार पड़ रहे हैं.
मामलों के बढ़ने के सवाल पर स्वास्थ्य विशेषज्ञ ने कहा कि लॉकडाउन में सभी लोग नियमों का अच्छी तरह से पालन कर रहे थे लेकिन जैसे-जैसे वक्त आगे बढ़ रहा है, नियमों का पालन करने में मुश्किल हो रही है. यह एक मानव स्वभाव है. लॉकडाउन के बाद सभी आजादी चाहते हैं। सभी को समझना होगा कि अर्थव्यवस्था औऱ रोजगार के लिए ही अनलॉक किया गया है। काम करने जाएं तो करीब 6 फीट की दूरी बनाकर काम करें. मास्क ही आपका ताला है, बीमारी से बचकर रहना है तो उसे लगा कर रखें.
उन्होंने कहा कि कई प्रकार के मास्क बाजार में उपलब्ध हैं. एन95 मास्क खास तौर से डॉक्टरों के लिए होते हैं.डिस्पोजेबल मास्क का एक टाइम पीरियड होता है, उसे बार-बार इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। कपड़े का मास्क लगा कर आप संक्रमण से बच सकते हैं। कपड़े के मास्क को धोकर प्रयोग करें इससे बेहतर कुछ नहीं. उन्होंने आगे कहा कि बहुत लोगों अपने कान तक ढक कर बाहर निकलते हैं, वैसे यह अच्छा है, लेकिन यह समझना होगा कि यह वायरस केवल नाक, आंख और मुंह से ही शरीर में प्रवेश कर सकता है। इसलिए नाक, मुंह और आंख की सुरक्षा ज्यादा जरूरी है. कान से इस वायरस से संक्रमण का खतरा तब तक नहीं है, जब तक आपके कान में कोई बीमारी नहीं है.
उन्होंने कहा कि इस बीमारी को लेकर नकारात्मक मत हों, क्योंकि यह एचआईवी जैसी बीमारी नहीं है, जो एक बार हो गई, तो व्यक्ति ठीक नहीं होगा। यह 10 से 14 दिन का समय लेती है और अपने आप मरीज ठीक हो जाता है। हमारे देश में कोरोना से मृत्यु दर काफी कम है। इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है. अगर घर में कोई कोरोना पॉजिटिव हो जाए, तो संयम से काम लें। सभी लोग अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने पर ध्यान दें.