कोरोना संकट के बीच अच्छी खबर, टेलीमेडिसिन क्षेत्र में आगे बढ़ रहा भारत
कोरोना वायरस से बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग सबसे कारगर उपाय है. ऐसे में अस्पतालों में लोगों की आवाजाही कम करने के लिए टेलीमेडिसिन एक महत्वपूर्ण तकनीक के रूप में उभरी है, जो लॉकडाउन में सामाजिक दूरी को बरकरार रखते हुए कुशल संचार के माध्यम से लोगों को इलाज दे रही है. इसलिए संक्रमण के इस दौर में अस्पताल जाने से बेहतर टेलीमेडिसिन का लोग सहारा ले रहे हैं.
कोरोना वायरस (Coronavirus in India) से बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) सबसे कारगर उपाय है. ऐसे में अस्पतालों में लोगों की आवाजाही कम करने के लिए टेलीमेडिसिन एक महत्वपूर्ण तकनीक के रूप में उभरी है, जो लॉकडाउन (Lockdown) में सामाजिक दूरी को बरकरार रखते हुए कुशल संचार के माध्यम से लोगों को इलाज दे रही है. इसलिए संक्रमण के इस दौर में अस्पताल जाने से बेहतर टेलीमेडिसिन का लोग सहारा ले रहे हैं.
क्या है टेलीमेडिसिन.
दरअसल टेलीमेडिसिन में दूरसंचार या टेक्नोलॉजी का प्रयोग करके (मोबाइल फोन और इंटरनेट के जरिए) रोगियों का दूर बैठ कर ही इलाज करते हैं और उपचार बताते हैं। इससे लोगों को बाहर भी नहीं निकलना पड़ रहा और सुविधा भी मिल रही है. कई अस्पताल डिजिटल कैमरा और एक खास सॉफ्टवेयर आदि का भी इसमें इस्तेमाल कर रहे हैं. यह भी पढ़े-कोरोना संकट: अस्पताल में है कोविड-19 संक्रमण का डर तो क्या करें दांत के मरीज? जानिए क्या कहते हैं एम्स के डॉक्टर
कोरोना वायरस संक्रमण के दौर में भी यह काफी मददगार साबित हो रहा है। जैसे इन दिनों कई लोगों को होम क्वारनटाइन में भी रखा गया है. ऐसे में भारत के स्मार्ट शहर में जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के सहयोग से कोविड19 के संदिग्ध मरीजों की निगरानी में भी टेलीमेडिसिन काफी सहायक हो रही हैं. देश के कई शहरों जबलपुर, उज्जैन, सतारा, भोपाल, ग्वालियर, नागपुर, कानपुर, मंगलुरु, चेन्नई और गांधी नगर जैसे शहरों में इसकी शुरुआत हुई तो लोगों को काफी राहत मिली है.
टेलीमेडिसिन का इतिहास.
एक रिपोर्ट के मुताबिक 20वीं शताब्दी की शुरूआत में टेलीमेडिसिन का चलन आया। जब ईसीजी रिपोर्ट को टेलीफ़ोन माध्यम से भेजा गया. तब से लेकर आज तक, टेलीमेडिसिन स्वास्थ्य सेवा देने और टेक्नोलॉजी दोनों के संदर्भ में एक लंबा सफर तय कर चुकी है. यह भी पढ़े-COVID-19: टेस्टिंग किट और सस्ते वेंटिलेटर के लिए भारत से पूरी दुनिया को आस, मेक इन इंडिया के तहत तेजी से हो रही है रिसर्च और इनोवेशन
हांलाकि टेलीमेडिसिन के क्षेत्र में एक बड़ी भूमिका नासा और इसरो की भी मानी जाती है। दरअसल इसरो ने 2001 में टेलीमेडिसिन पायलट प्रोजेक्ट के साथ भारत में टेलीमेडिसिन की शुरुआत की थी, जिसमें चेन्नई के अपोलो अस्पताल को आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले के अरगोंडा गांव में अपोलो ग्रामीण अस्पताल से जोड़ा गया था. इसका उद्देश्य क्षेत्रों के निम्न आय वाले लोगों का रिमोट ट्रीटमेंट करना था. इसरो की इस पहल से सूचना प्रौद्योगिकी विभाग (डीआईटी), विदेश मंत्रालय, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और राज्य सरकारों ने भारत में टेलीमेडिसिन सेवाओं के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इसके लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा वर्ष 2005 में एक राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन टास्क फोर्स की स्थापना जैसे सकारात्मक कार्य किये गए.
कैसे काम करती है टेलीमेडिसिन.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने टेलीमेडिसिन 2020 गाइलाइन जारी की है, जिसमें कहा गया है कि अब डॉक्टर टेलीमेडिसिन प्लेटफार्मों और व्हाट्सएप सहित फोन, वीडियो और चैट एप्लिकेशन के माध्यम से रोगियों से परामर्श कर सकते हैं. इस गाइडलाइन को इंडियन मेडिकल काउंसिल के तहत नीति आयोग की ओर से अधिसूचित किया गया. जो कि उपयोगकर्ताओं को घर से बाहर गए बिना किसी भी मान्यता प्राप्त डॉक्टर से परामर्श करने की अनुमति देता है और संक्रमण के खतरे को कम करता है.
टेलीमेडिसिन को बढ़ावा देने का सही समय.
राममनोहर लोहिया अस्पताल के निदेशक डॉ. एन एन माथुर कहते हैं कि टेलीमेडिसिन को आगे बढ़ाने के लिए लॉकडाउन सबसे सही समय है. हमारे अस्पताल में पिछले पंद्रह दिनों से टेलीमेडिसिन के साथ काम कर रहे हैं और कई लोग रोज इससे जुड़ रहे हैं. आने वाले समय में, 32-40% चिकित्सा परामर्श टेलीमेडिसिन के माध्यम से ही होगा.
आज इस तकनीक का लाभ उठाते हुए स्मार्ट शहर कोविड19 संक्रमण के जोखिम को कम करने में नागरिकों को ऑनलाइन चिकित्सा परामर्श सुविधाएं प्रदान कर रहे हैं. इसके लिए कई टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की जा रही है. सेल्फ क्वारनटाइन में रह लोगों के इलाज और सुझाव के लिए मंगलुरु में एक कॉलसेंटर 1077 नंबर पर टेलीमेडिसिन सुविधा के रूप में काम कर रहा है.
कानपुर में इंटीग्रेटेड कमांड एंड.
कंट्रोल सेंटर ( ICCC) के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाओं पर निगरानी रखी जा रही है. जिसमें सिटी एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से टेलिमेडिसिन के तहत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा दी गई है. नागरिकों से भी सुविधा का लाभ उठाने के लिए 8429525801 नंबर पर वीडियो कॉल करने का अनुरोध किया गया है.
वहीं अलीगढ़ में भी ICCC के माध्यम से सुबह 11:00 से दोपहर 2:00 बजे और शाम 5:00 बजे से 8:00 बजे के बीच तैनात डॉक्टर व्हाट्सएप नंबर के जरिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग करके परामर्श दे रहे हैं. जबलपुर में 7222967605 नंबर पर व्हाट्सएप वीडियो कॉल के माध्यम से टेलीमेडिसिन के जरिए परामर्श की सुविधाएं उपलब्ध हैं.