Corona epidemic: कोरोना की वजह से हावी तनाव और अवसाद को कैस भगाएं  दूर, जानें  दिल्ली एम्स के डॉ. नंद कुमार से
कोरोनावायरस, (Photo Credits: IANS)

मन के हारे हार है, मन के जीते जीत, जीवन में हर पल परिस्थितियां बदलती रहती हैं.  लेकिन जरूरत होती है, मन को मजबूत कर दृढ़ता के साथ किसी भी मुश्किल समय का सामना करने की.क्योंकि सफलता-असफलता, हानि-लाभ, रोग-व्याधी, आपदा एक मौसम की तरह हैं जो आते हैं और कुछ समय तक रहते हैं और फिर चले जाते हैं या इनके साथ हम जीना शुरू कर देते हैं.  उसी तरह इन दिनों कोरोना महामारी है.

शरीर में पहले से ही कई वायरस और बैक्टीरिया मौजूद

एम्स नई दिल्ली के डॉ. नंद कुमार का कहना है कि कई लोगों में कोरोना वायरस को लेकर मन में डर बैठ गया है। लेकिन ये समझना होगा कि कोरोना वायरस की तरह कई तरह के वायरस हैं या शरीर को देखें तो कई लाखों बैक्टीरिया होते हैं। जैसे जब ठंडा पानी पिते हैं, तो जुकाम होता है। इसका ये मतलब नहीं की ठंडा पानी से जुकाम हो रहा है, बल्कि हमारे शरीर में जो बैक्टीरिया होता है वो एक्टिव हो जाते हैं. उसी तरह इन्फ्लूएंजा वायरस भी था और कोरोना भी है। कई बार लोग इतना तनाव लेते हैं कि उनकी इम्यूनिटी कम हो जाती है और संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है। अगर कोरोना से संक्रमित हो भी गए तो भी बिल्कुल नहीं डरना है। हमारे देश में भारी संख्‍या में लोग ठीक हो रहे हैं.लोगों को लगता है कि कोरोना हो गया तो उनकी मृत्यु हो जाएगी. ऐसा नहीं है. यह भी पढ़े: कोरोना संक्रमित दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन की हालत बिगड़ी, फेफड़ों में बढ़ा इन्फेक्शन, अब दी जाएगी प्लाज्मा थेरेपी

महामारी में सामाजिक नहीं शारीरिक दूरी

इस दौरान उन्होंने समझाया कि कोरोना वायरस के समय में संक्रमण से बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग रखने को कहा गया। लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि सोशल या सामाजिक रूप से दूरी बना लें। क्योंकि किसी भी बीमारी या महामारी में सामाजिक सहयोग की बहुत जरूरत होती है.इसलिए पीएम मोदी ने भी सामाजिक दूरी नहीं बल्कि दो गज की शारीरिक दूरी रखने को कहा है। इसके बाद हाल ही में विश्‍व स्वास्थ्‍य संगठन ने भी सोशल डिस्टेंसिंग की जगह फिजिकल डिस्टेंसिंग की बात कही.

कई बार लोग नौकरी जाने या घर में बैठ कर डिप्रेशन, तनाव, अवसाद आदि के शिकार हो रहे हैं उनके लिए डॉ नंद कुमार कहते हैं कि कोरोना एक महामारी है और जब भी कोई महामारी आती है तो लोगों के मन में निराशा घर कर जाती है, जिससे लोग परेशान और उदास होते हैं। लेकिन कोई भी महामारी या आपदा लंबे समय तक नहीं रहती। इंफ्लुएंजा को देखें जिसमें लाखों लोगों की जान गई. लेकिन फिर महामारी खत्‍म हो गई. ये वक्त के साथ खत्म हो जाती है. यह समय कठिन है इसलिए लंबा लग रहा है, फिर भी समझने की जरूरत है और परिवार को संभालने की जरूरत है.

कोरोना वायरस से संबंधित किसी भी खबर की करें जांच

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसे तमाम तनाव से बचने के लिए कोरोना वायरस के संबंध में कोई भी जानकारी मिलती है तो तुरंत उसे स्वीकार न कर लें. बल्कि साइंटिफिक और वैरीफाइड फैक्ट को इकट्ठा करें। सरकारी आंकड़ों और पुख्ता खबर देने वाले चैनलों को ही देखें। क्योंकि सोशल मीडिया पर कई बार भ्रामक पोस्ट से गलत जानकारी साझा होने लगती है और लोग परेशान हो जाते हैं और तनाव में आ जाते हैं। इसलिए ऐसी चीजों से बचें और खुद को सुरक्षित रखें.

वैक्सीन के बिना भी लोग हो रहे हैं ठीक

वहीं अक्सर लोग कोविड की अभी तक वैक्सीन नहीं आने से भी परेशान है कि लोग आने वाले समय में कैसे ठीक होंगे। इस पर डॉ नंद ने कहा कि जब भी मौसम बदलता है तो लोगों को इंफ्लूएंजा वायरस हो जाता है, जिसमें सर्दी, जुकाम हो जाता है। यह सामान्य हो चुका है। उसी तरह ये वायरस है, जिससे लोग संक्रमित हो रहे हैं। संक्रमितों की संख्या को न देखें, क्योंकि हमारे देश में इस वायरस से भारी संख्‍या में लोग ठीक हो रहे हैं। लोग खुद ही रिकवर हो रहे हैं और इस वायरस के समय को देखें तो पहले जो भी वायरस आए, उनकी तुलना में इतना समय नहीं हुआ है। उम्मीद है कि सितंबर-अक्टूबर के बीच संक्रमण पर लगाम लगाने में हम कामयाब हो जाएंगे और लोगों की तब तक इम्यूनिटी भी बढ़ जाामारी है.

शरीर में पहले से ही कई वायरस और बैक्टीरिया मौजूद

एम्स नई दिल्ली के डॉ. नंद कुमार का कहना है कि कई लोगों में कोरोना वायरस को लेकर मन में डर बैठ गया है। लेकिन ये समझना होगा कि कोरोना वायरस की तरह कई तरह के वायरस हैं या शरीर को देखें तो कई लाखों बैक्टीरिया होते हैं। जैसे जब ठंडा पानी पिते हैं, तो जुकाम होता है। इसका ये मतलब नहीं की ठंडा पानी से जुकाम हो रहा है, बल्कि हमारे शरीर में जो बैक्टीरिया होता है वो एक्टिव हो जाते हैं. उसी तरह इन्फ्लूएंजा वायरस भी था और कोरोना भी है। कई बार लोग इतना तनाव लेते हैं कि उनकी इम्यूनिटी कम हो जाती है और संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है। अगर कोरोना से संक्रमित हो भी गए तो भी बिल्कुल नहीं डरना है। हमारे देश में भारी संख्‍या में लोग ठीक हो रहे हैं.लोगों को लगता है कि कोरोना हो गया तो उनकी मृत्यु हो जाएगी. ऐसा नहीं है. यह भी पढ़े: कोरोना संक्रमित दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन की हालत बिगड़ी, फेफड़ों में बढ़ा इन्फेक्शन, अब दी जाएगी प्लाज्मा थेरेपी

महामारी में सामाजिक नहीं शारीरिक दूरी

इस दौरान उन्होंने समझाया कि कोरोना वायरस के समय में संक्रमण से बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग रखने को कहा गया। लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि सोशल या सामाजिक रूप से दूरी बना लें। क्योंकि किसी भी बीमारी या महामारी में सामाजिक सहयोग की बहुत जरूरत होती है.इसलिए पीएम मोदी ने भी सामाजिक दूरी नहीं बल्कि दो गज की शारीरिक दूरी रखने को कहा है। इसके बाद हाल ही में विश्‍व स्वास्थ्‍य संगठन ने भी सोशल डिस्टेंसिंग की जगह फिजिकल डिस्टेंसिंग की बात कही.

कई बार लोग नौकरी जाने या घर में बैठ कर डिप्रेशन, तनाव, अवसाद आदि के शिकार हो रहे हैं उनके लिए डॉ नंद कुमार कहते हैं कि कोरोना एक महामारी है और जब भी कोई महामारी आती है तो लोगों के मन में निराशा घर कर जाती है, जिससे लोग परेशान और उदास होते हैं। लेकिन कोई भी महामारी या आपदा लंबे समय तक नहीं रहती। इंफ्लुएंजा को देखें जिसमें लाखों लोगों की जान गई. लेकिन फिर महामारी खत्‍म हो गई. ये वक्त के साथ खत्म हो जाती है. यह समय कठिन है इसलिए लंबा लग रहा है, फिर भी समझने की जरूरत है और परिवार को संभालने की जरूरत है.

कोरोना वायरस से संबंधित किसी भी खबर की करें जांच

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसे तमाम तनाव से बचने के लिए कोरोना वायरस के संबंध में कोई भी जानकारी मिलती है तो तुरंत उसे स्वीकार न कर लें. बल्कि साइंटिफिक और वैरीफाइड फैक्ट को इकट्ठा करें। सरकारी आंकड़ों और पुख्ता खबर देने वाले चैनलों को ही देखें। क्योंकि सोशल मीडिया पर कई बार भ्रामक पोस्ट से गलत जानकारी साझा होने लगती है और लोग परेशान हो जाते हैं और तनाव में आ जाते हैं। इसलिए ऐसी चीजों से बचें और खुद को सुरक्षित रखें.

वैक्सीन के बिना भी लोग हो रहे हैं ठीक

वहीं अक्सर लोग कोविड की अभी तक वैक्सीन नहीं आने से भी परेशान है कि लोग आने वाले समय में कैसे ठीक होंगे। इस पर डॉ नंद ने कहा कि जब भी मौसम बदलता है तो लोगों को इंफ्लूएंजा वायरस हो जाता है, जिसमें सर्दी, जुकाम हो जाता है। यह सामान्य हो चुका है। उसी तरह ये वायरस है, जिससे लोग संक्रमित हो रहे हैं। संक्रमितों की संख्या को न देखें, क्योंकि हमारे देश में इस वायरस से भारी संख्‍या में लोग ठीक हो रहे हैं। लोग खुद ही रिकवर हो रहे हैं और इस वायरस के समय को देखें तो पहले जो भी वायरस आए, उनकी तुलना में इतना समय नहीं हुआ है। उम्मीद है कि सितंबर-अक्टूबर के बीच संक्रमण पर लगाम लगाने में हम कामयाब हो जाएंगे और लोगों की तब तक इम्यूनिटी भी बढ़ जाएगी। लेकिन अभी बचाव रखें और सतर्कता बरतें.

इम्यूनिटी बढ़ाने का सबसे आसान तारीका

वहीं शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को लेकर उन्होंने कहा कि इसका सबसे आसान तरीका है बिना कुछ खर्च करे कोई भी फिजिकल एक्‍सरसाइज करिये। अगर बाहर नहीं जा रहे हैं और घर में इस वक्त हैं तो प्राणायाम करें। इससे फेफड़े में ताजी हवा आती जाती है और इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इसके अलावा आयुष मंत्रालय की सभी गाइडलाइन का पालन करें। लेकिन इन सब में सबसे जरूरी बात है कि कई बार लोग डरने लगते हैं और डरने और तनाव से रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। इसलिए डरे नहीं.

जुकाम होने पर क्या करें

बदलते मौसम में सामान्य जुकाम होने पर डॉ नंद कहते हैं कि अगर केवल कफ यानी बलगम बहुत आ रहा है, लेकिन बुखार नहीं है, खांसी-जुकाम भी नहीं है, तो ये कोरोना के लक्षण नहीं हैं। इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है। आप घरेलू नुस्‍खे अपना सकते हैं, जैसे स्‍टीम लेना, अदरक काली र्मिच का काढ़ा, आदि का सेवन कर सकते हैं.