देश को महाशक्ति बनाने के रास्ते में हैं ये 3 बड़ी चुनौतियां, मोदी सरकार अगर निपटने में हुई कामयाब तो दुनिया में बजेगा भारत का डंका
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Photo Credits: PIB)

नई दिल्ली: मशहूर टाइम पत्रिका (Time Magazine) ने देश-विदेश के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की लिस्ट में एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) का नाम शामिल किया है. इससे पहले पीएम मोदी साल 2015, 2016, 2017 में भी टाइम पत्रिका के दुनिया के सर्वाधिक प्रभावशाली लोगों की सूची में हिस्सा रहे थे. पीएम मोदी ने साल 2014 में प्रचंड बहुमत के साथ केंद्र की सत्ता का बागदौड़ संभाला. तब से लेकर अब में बहुत अंतर आया है. समय बीतने के साथ ही मोदी सरकार के सामने आर्थिक और सामरिक चुनौतियां दोनों बढ़ती जा रही है. हालाँकि बीते वर्षों में पीएम मोदी ने दोनों क्षेत्रों में अपना लोहा मनवाया है. वर्तमान समय में भारत को वैश्विक पटल पर उभारने के लिए मोदी सरकार के सामने तीन प्रमुख चुनौतियां है-

कोरोना वायरस:

पूरी दुनिया कोरोना वायरस महामारी से परेशान है. इस घातक वायरस के कारण लाखों लोग अपनी जान गंवा चुके है. कोरोना वायरस के मामले में भारत ब्राजील से ऊपर दूसरे पायदान पर पहुंच चुका है. जबकि संक्रमण की रफ़्तार तेजी से बढ़ रही है. बुधवार सुबह तक देश में कुल कोरोना मामलों की संख्या 56,46,011 थी, जिसमें 9,68,377 सक्रिय मामले है. और 45,87,614 ठीक हो चुके है. जबकि 90,020 संक्रमितों की मौत हुयी हैं. कोविड-19 महामारी से विश्व आर्थिक मंदी आयी. बहुत-से देशों में बेरोजारी दर काफी हद तक बढ़ी, ज्यादातर लोगों को आय नहीं मिल पायी. देश की युवा शक्ति, मजदूर, किसान और छोटे दुकानदारों और असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोग कोरोना के चलते गरीबी के चौखट पर पहुंच गए है.

अर्थव्यवस्था:

कोरोना ने भारतीय अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी है. भारत में इस जानलेवा वायरस की एंट्री से पहले आई आर्थिक मंदी अब और गहरा गई है. दरअसल महामारी का उद्योग-धंधों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है. संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के प्रकोप के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था में 2020 के दौरान 5.9 प्रतिशत की कमी आने का अनुमान है और चेतावनी दी गई कि वृद्धि अगले साल भी पटरी पर लौट सकती है, लेकिन संकुचन के चलते स्थाई रूप से आय में कमी होने की आशंका है. रिपोर्ट में कहा गया है कि सख्त लॉकडाउन के चलते भारत 2020 में मंदी की गिरफ्त में रहेगा, हालांकि 2021 के दौरान इसमें सुधार होने की उम्मीद है.

चीन:

बीते कुछ महीनों से भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में अपनी-अपनी सीमा को लेकर चल रहे विवाद को सुलझाना भी मोदी सरकार की बड़ी चुनौती है. इस मामले को सुलझाने के लिए भारत और चीन के मध्य कूटनीतिक और सैन्य स्तर की बातचीत जारी है. हाल ही में मोल्डो में दोनों देशों के प्रतिनिधियों के बीच 14 घंटे लंबी कूटनीतिक-सैन्य वार्ता हुई. यह कोर कमांडर स्तर की चर्चा का छठा दौर था. इससे पहले 10 सितंबर को रूस के मॉस्को में विदेश मंत्री एस. जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच वार्ता के दौरान दोनों देश पांच-सूत्रीय रोडमैप पर सहमत हुए थे. 15 जून को गालवान घाटी में पेट्रोलिंग पॉइंट 14 पर चीन की और से एक बर्बर हमला किया गया था, जिसमें चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की भारतीय सैनिकों के साथ हिंसक झड़प हुई जिसमें 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे जबकि अज्ञात संख्या में चीनी सैनिक भी मारे गए थे. कुछ दिन पहले ही दोनों देशों के सैनिकों ने एक-दूसरे को डराने के लिए चेतावनी के शॉट फायर किए थे. इस घटना से एलएसी पर तनाव और बढ़ गया.