शिमला: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने गुरुवार को नई दिल्ली में केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली से मुलाकात की. उन्होंने जेटली को बताया कि केंद्र सरकार की प्रमुख योजनाओं, जैसे मुद्रा, पीएमईजीपी, एनआरएलएम, एनयूएलएम के तहत लोगों को जमानत मुक्त ऋण नहीं मिल रहे हैं. ठाकुर ने वित्तमंत्री को बताया कि राज्य सहकारी बैंकों को क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट फॉर माइक्रो एंड स्मॉल एंटरप्राइजिज (सीजीटीएमएसई) और स्मॉल फार्मर्स एग्री बिजनेस कन्सॉर्टि (एसएफएसी) के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट के तहत सदस्य ऋण संस्थान नहीं बनाया गया है, जिस कारण संभावित उद्यमियों को भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत आसान ऋण सुविधा नहीं मिल पा रही है.
उन्होंने जेटली से व्यक्तिगत हस्तक्षेप कर आसान ऋण सुविधा सुनिश्चित करने का अनुरोध किया.
जयराम ठाकुर ने कहा कि इससे न केवल सहकारी बैंकों को अपने ऋणों का विस्तार करने में मदद मिलेगी, बल्कि आसान ऋण सुविधा के कारण रोजगार पैदा करने, आजीविका के साथ-साथ कृषि तथा कृषि आधारित उद्योगों के विकास और विविधीकरण में भी मदद मिलेगी.
मुख्यमंत्री ने एक अलग परियोजना के रूप में एकीकृत विकास परियोजना को साधन स्थिरता और क्लाइमेट रिजिलिएंट रेन फेड एग्रीकल्चर के लिए विश्व बैंक से हस्तक्षेप कर धन जारी रखने के लिए राजी करने का मामला उठाने का भी आग्रह किया. उन्होंने बताया कि आईडीपी और फॉरेस्ट फॉर प्रॉस्पैरिटी (एफपीपी) का विलय, दोनों परियोजनाओं को एक ही विभाग द्वारा कार्यान्वित करने और इसके समान उद्देश्य व परिणाम को देखते हुए किया गया.
यह भी पढ़ें: नोटबंदी को लेकर चिदंबरम ने वित्त मंत्री अरुण जेटली को घेरा, याद दिलाए पुराने बयान
उन्होंने वित्तमंत्री को अवगत कराया कि दोनों परियोजनाओं के उद्देश्य और कार्यान्वयन के तौर-तरीके अलग-अलग हैं और कहा कि आईडीपी का उद्देश्य कृषि क्षेत्र और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करना एवं सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता में सुधार करना तथा किसानों की आजीविका बढ़ाने के लिए सीधे ग्राम पंचायतों के साथ काम करना है.