छत्तीसगढ़ सीएम विष्णु देव साय का पीएम मोदी को खत, कहा- राम के ननिहाल में खुशी का पारावार नहीं
अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पूरे देश में उत्सव मनाया गया, वहीं राम की ननिहाल छत्तीसगढ के लोगों की खुशी का पारावार नहीं है. इसी को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राज्य के लोगों की भावना को व्यक्त करते हुए पत्र लिखा है.
रायपुर, 28 जनवरी : अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पूरे देश में उत्सव मनाया गया, वहीं राम की ननिहाल छत्तीसगढ के लोगों की खुशी का पारावार नहीं है. इसी को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राज्य के लोगों की भावना को व्यक्त करते हुए पत्र लिखा है.
मुख्यमंत्री साय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अयोध्या में श्री रामलला की प्राणप्रतिष्ठा कार्यक्रम के सफलतापूर्वक संपन्न होने पर छत्तीसगढ़वासियों की भावनाओं को साझा किया है. मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में लिखा है कि अयोध्या धाम से दिये गये संबोधन में प्रधानमंत्री ने माता शबरी की भक्ति और भगवान राम के आने की प्रतीक्षा को जिस तरह रेखांकित किया, उसने छत्तीसगढ़वासियों को द्रवित कर दिया है. यह भी पढ़ें : राज्य में आदिवासी समूहों को योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है: साय
पत्र में आगे मुख्यमंत्री ने लिखा कि छत्तीसगढ़ भगवान श्रीराम का ननिहाल भी है, इसलिए हमारी खुशी का कोई पारावार नहीं है. पूरे छत्तीसगढ़ में इस तिथि को रामोत्सव के रूप में मनाया गया. मैंने इस अवसर पर प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम का अवलोकन माता शबरी के पवित्र धाम शिवरीनारायण से करने का निश्चय किया.
प्रधानमंत्री के संबोधन के संबंध में अपनी बात साझा करते हुए मुख्यमंत्री ने लिखा कि आपने अयोध्या धाम से माता शबरी की प्रतीक्षा का भी स्मरण किया. माँ शबरी तो कब से कहती थी राम आयेंगे. प्रत्येक भारतीय में जन्मा यही विश्वास सक्षम भव्य भारत का आधार बनेगा. यही तो है देव से देश और राम से राष्ट्र की चेतना का विस्तार.
मुख्यमंत्री ने शिवरीनारायण और पूरे प्रदेश की भावनाओं को साझा करते हुए लिखा कि आपके इन सुंदर शब्दों ने शबरी धाम में रहने वाले शिवरीनारायण के हजारों लोगों और करोड़ों छत्तीसगढ़वासियों तथा देश भर में रहने वाले करोड़ों वनवासियों को द्रवित किया है. इसके लिए माता शबरी के इस धाम से हम आपके प्रति कृतज्ञता का भाव व्यक्त करते हैं. इन वनवासियों ने सैकड़ों बरसों से अपने मन में श्रीराम की मंजूल छवि बसाई है. राम उनकी चेतना के हिस्से हैं. शबरी जैसी माताओं का आदर कर, निषादराज की मित्रता का सम्मान कर भगवान श्रीराम ने हम सबके लिए रामराज्य का आदर्श स्थापित किया है.