Chandrayaan-3: लैंडिंग से पहले के आखिरी 20 मिनट होंगे चुनौतीपूर्ण; बेहद जटिल प्रक्रिया से गुजरेगा चंद्रयान-3
भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया की निगाहें ISRO के मून मिशन चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) पर है. रूस के चंद्रमा मिशन लूना-25 के क्रैश होने के बाद अब पूरी दुनिया को भारत से ही उम्मीद है.
Chandrayaan-3: भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया की निगाहें ISRO के मून मिशन चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) पर है. रूस के चंद्रमा मिशन लूना-25 के क्रैश होने के बाद अब पूरी दुनिया को भारत से ही उम्मीद है. पूरा देश बुधवार की उस शाम का बेसब्री से इंतजार कर रहा है जिस शाम चंद्रयान-3 को चांद की सतह पर उतरना है. भारत का चंद्रयान-3 इतिहास बनाने से कुछ ही कदम की दूरी पर है. बुधवार (23 अगस्त) के दिन चंद्रयान-3 चांद के साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा. अगर सब कुछ तय कार्यक्रम के हिसाब से हुआ तो भारत चंद्रमा के साउथ पोल पर पहुंचने वाला पहला देश बन जाएगा. Chandrayaan-3 Mission Update: ऐसा हुआ तो 23 की जगह 27 अगस्त को होगी चंद्रयान-3 की चांद पर लैंडिंग, ISRO ने दिया बड़ा अपडेट | VIDEO.
इतिहास रचने से पहले चंद्रयान- 3 बुधवार को खतरनाक बीस मिनट के सफर पार करना होगा. इन बीस मिनटों में विक्रम लैंडर शाम चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास करेगा. इस मिशन के लिए आखिरी 20 मिनट सबसे महत्वपूर्ण हैं. चंद्रयान- 3 की यात्रा के अंतिम बीस मिनट के रोमांचक क्षणों को टेरर के बीस मिनट के रूप में बताया जा रहा है.
आखिरी 20 मिनट होंगे निर्णायक
रिपोर्ट के अनुसार आखिरी 20 मिनट में जब लैंडर विक्रम चांद की तरफ आगे बढ़ना शुरू करेगा, उस वक्त उसकी गति 1.68 किमी प्रति सेकेंड यानी 6048 प्रति घंटा होगी, जिस स्पीड से प्लेन चलता है, यह उसके 10 गुना ज्यादा है. चंद्रयान-3 के लैंडर को 25 किलोमीटर की ऊंचाई से लैंड कराने की कोशिश की जाएगी.
इसके बाद लैंडर विक्रम की गति धीमी होना शुरू होगी और इस समय वह चांद के हॉरिजोंटल होगा. इसे रफ ब्रेकिंग फेज कहा जाता है, जो कि 11 मिनट तक चलेगा. जब लैंडर विक्रम चांद की सतह पर वर्टिकल होगा, इसको फाइन ब्रेकिंग फेज कहा जाएगा.
टल सकती है लैंडिंग
इसरो के अहमदाबाद केंद्र के निदेशक निलेश एम देसाई ने चंद्रयान-3 की लैंडिंग को लेकर बताया है कि 23 अगस्त को चंद्रयान-3 की लैंडिंग से कुछ घंटे पहले निर्णय लिया जाएगा कि लैंडिंग के लिए समय उचित है या नहीं. देसाई ने कहा कि अगर कोई बाधा होती है तो लैंडिंग को 27 अगस्त तक के लिए बढ़ा देंगे.
चंद्रयान-2 मिशन को भेजे जाने के समय इसरो प्रमुख रहे के सिवन ने बताया कि चंद्रयान-3 मिशन योजना के तहत आगे बढ़ रहा है और चंद्रमा की सतह पर उसकी सॉफ्ट लैंडिंग योजना के मुताबिक होगी. उन्होंने कहा कि हम उम्मीद कर रहे हैं कि इस बार यह सतह पर उतरने में सफल रहेगा.
भारत के पहले चंद्रमा मिशन, चंद्रयान-1 ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पानी के सबूत जुटाने में अहम योगदान दिया था. इस खोज को आगे बढ़ाने के इरादे से भेजा गया चंद्रयान-2 मिशन, 2019 में लैंडिंग के दौरान क्रैश हो गया था.
मिशन पर क्या करेंगे लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान
चांद की सतह पर सफलतापूर्वक लैंड करने के बाद चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान अगले दो हफ्ते तक वहां से डाटा इसरो को भेजेंगे. रोवर के पेलोड्स में जो उपकरण लगे हैं, वे चांद से जुड़ा डाटा भेजेंगे. ये चांद के वातावरण से जुड़ी जानकारियां लैंडर को भेजेंगे.
दक्षिणी ध्रुव के राज खोलेगा चंद्रयान-3
चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव बहुत ऊबड़-खाबड़ है, इसलिए वहां किसी यान का उतरना बेहद मुश्किल माना जाता है. लेकिन तब भी विभिन्न देश वहां पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि वैज्ञानिकों का मानना है कि वहां बर्फ मौजूद है, जिससे ईंधन, पानी और ऑक्सीजन निकाली जा सकती हैं, जो मानव जीवन के लिए आवश्यक हैं. अगर यह अभियान सफल रहता है तो रूस, अमेरिका और चीन के बाद चंद्रमा की सतह पर उतरने वाला भारत मात्र चौथा देश होगा और दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश होगा.