मिशन चंद्रयान-2 पर बोले ISRO चीफ, प्रधानमंत्री और देशवासियों ने बढ़ाया वैज्ञानिकों का हौसला

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख के सिवन (K Sivan) ने कहा कि मिशन चंद्रयान-2 के पूरी तरह से सफल नहीं होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देशवासियों के मिले समर्थन ने सभी वैज्ञानिकों का मनोबल बढाया है.

मिशन चंद्रयान-2 (Photo Credits: IANS/Facebook)

बेंगलुरू: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख के सिवन (K Sivan) ने कहा कि मिशन चंद्रयान-2 के पूरी तरह से सफल नहीं होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देशवासियों के मिले समर्थन ने सभी वैज्ञानिकों का मनोबल बढाया है. इससे पहले उन्होंने रविवार दोपहर को कहा कि विक्रम लैंडर (Vikram Lander) का पता चल गया है. ऑर्बिटर ने विक्रम की तस्वीरें भेजी हैं, लेकिन इससे संपर्क स्थापित नहीं किया जा सका है. धरती से वैज्ञानिक द्वारा लगातार संपर्क की कोशिशें जारी है.

इसरो (ISRO) चीफ ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री के संबोधन के साथ-साथ पूरे देश के इसरो के साथ खड़े होने से हम वास्तव में बेहद खुश हैं. इस वजह से हमारा मनोबल बढ़ा है. भले ही यह मिशन तय योजना की तरह पूरा नहीं हुआ, लेकिन इसके बावजूद देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी इसरो की जमकर तारीफ की जा रही है. देश के तमाम नेताओं समेत जनता ने लैंडर के चंद्रमा की सतह के बेहद करीब पहुंचने पर इसरो की तारीफ की. लोगों ने सोशल मीडिया के जरिए इसरो वैज्ञानिकों की काम के प्रति समर्पण और प्रतिबद्धता को खूब सराहा.

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पीएम मोदी ने इसरो चीफ को लगाया गले-

वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कड़ी मेहनत करने के लिए वैज्ञानिकों की हौसला अफजाई की और उनसे हिम्मत नहीं हारने के लिए कहा. उन्होंने कहा, "आप असाधारण पेशेवर हैं जिन्होंने राष्ट्रीय प्रगति में अविश्वसनीय योगदान दिया है. हमें अपने वैज्ञानिकों पर गर्व है जिन्होंने हमारे देश को गौरवान्वित किया है." पीएम मोदी ने वैज्ञानिकों का मनोबल बढ़ाने के बाद भावुक दिखे इसरो प्रमुख के सिवन को काफी देर तक आत्मीयता से गले भी लगाया था.

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भारत शनिवार को उस समय इतिहास रचने-रचते रह गया जब इसरो द्वारा चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का अभियान अपनी तय योजना के मुताबिक पूरा नहीं हो पाया. दरअसल 1 हजार 417 किलोग्राम के लैंडर विक्रम का प्रदर्शन चंद्रमा की सतह पर पहुंचने के पहले 2.1 किलोमीटर की दूरी तक बिलकुल सामान्य था. इसके बाद इसका संपर्क जमीनी स्टेशन से टूट गया था.

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