नई दिल्ली: धर्म परिवर्तन (Religious Conversion) को रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार अगले संसद सत्र में एक विधेयक (बिल) पेश कर सकती है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो मोदी सरकार धर्मांतरण विरोधी विधेयक बनाने के काम में जुटी हुई है. और सब कुछ सही रहा तो यह विधेयक संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है.
मोदी सरकार का यह कदम संसद के बजट सत्र के समापन के तुरंत बाद सामने आया है. ज़ी न्यूज़ (Zee News) ने सूत्रों के हवाले से बताया कि केंद्र सरकार धर्मांतरण विरोधी बिल लाने की तैयारी शुरू कर चुकी है और इस पर अभी चर्चा चल रही है. बताया जा रहा है कि इस बिल के जरिए किसी भी तरह के धार्म परिवर्तन को रोका जा सकता है. हालांकि इस बात की अब तक कोई अधिकारिक पुष्टी नहीं हो सकी है.
दरअसल कई ऐसे मामलें सामने आ चुके है जिसमें गरीब अशिक्षित लोगों को डराकर, धोखे या लालच देकर धर्म परिवर्तन कराया जाता है. लंबे समय से इसके लिए कानून बनाने की मांग की जा रही थी. पिछली सरकार में संसदीय कार्य मंत्री रहे वेंकैया नायडू ने भी सभी दलों से इस मुद्दे पर एक राय से कानून बनाने की अपील भी की थी.
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राज्यसभा ने बुधवार को समाप्त हुए बजट सत्र में 31 विधेयक पारित किए. इसमें जम्मू एवं कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2019, मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019 भी शामिल हैं. मुस्लिम महिला विधेयक तीन तलाक को अपराधिक बनाता है. वहीं जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2019, राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशें में बांटने का प्रस्ताव देता है. ऊपरी सदन में संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के एक प्रस्ताव को स्वीकृत किया गया। यह अनुच्छेद जम्मू एवं कश्मीर को विशेष दर्जा देता है. इन 31 विधेयकों को 35 बैठकों में पारित किया गया. यह राज्यसभा का बीते 17 सालों का बेहतरीन प्रदर्शन है.
जबकि, मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले बजट सत्र के दौरान लोकसभा में 36 विधेयक पारित किए. 249वें सत्र के दौरान ढाई दिन कोई कामकाज नहीं हुआ. सदन का 19 घंटे व 12 मिनट का कीमती समय बर्बाद चला गया. उधर, विपक्ष ने सरकार द्वारा उनके मांगों की अनदेखी कर बिल पास करने का आरोप लगाया है.