CDS Anil Chauhan on Indian Defence Industry Issue: चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने भारतीय हथियार कंपनियों के कामकाज पर गंभीर चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि सेना को कई बार ऐसे हालात का सामना करना पड़ता है, जब कंपनियां इमरजेंसी खरीद के तहत किए गए वादों को समय पर पूरा नहीं कर पातीं. CDS का कहना है कि कई कंपनियों ने "ओवर-प्रॉमिस" किया और निर्धारित समयसीमा में सामान नहीं दिया, जिससे सेनाओं की क्षमता प्रभावित हुई.
उन्होंने कहा कि रक्षा सौदों में उद्योग के मुनाफे के साथ-साथ "राष्ट्रहित और जिम्मेदारी" भी जरूरी है, क्योंकि देरी सीधे सुरक्षा तैयारियों पर असर डालती है.
इमरजेंसी खरीद की समयसीमा तोड़ने पर चेतावनी
CDS ने बताया कि 5वीं और 6वीं चरण की इमरजेंसी खरीद प्रक्रिया के दौरान ज्यादा संख्या में घरेलू कंपनियों ने समय पर डिलीवरी नहीं की. उन्होंने साफ कहा कि यह व्यवहार अस्वीकार्य है. इमरजेंसी प्रोक्योरमेंट में एक साल के भीतर 300 करोड़ रुपये तक के कॉन्ट्रैक्ट पूरे करने होते हैं, ताकि सेनाओं को तत्काल जरूरत वाली मिसाइलें, ड्रोन, प्रिसिशन गोला-बारूद और अन्य हथियार उपलब्ध कराए जा सकें.
स्वदेशी सामग्री के झूठे दावे पर भी सवाल
जनरल चौहान ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि कई कंपनियां अपने उत्पाद को 70% तक स्वदेशी बताती हैं, लेकिन जांच में यह सच नहीं निकलता. उन्होंने कहा कि जब उत्पाद सुरक्षा से जुड़े हों, तो उद्योग को सच्चाई पूरी पारदर्शिता के साथ बतानी चाहिए. उन्होंने चेतावनी दी कि सिर्फ पार्ट्स इंपोर्ट कर असेंबल करने को स्वदेशी निर्माण बताने की प्रवृत्ति हितों के खिलाफ है.
ओवरप्राइसिंग को बताया बड़ी समस्या
CDS ने हथियारों की ऊंची कीमतों पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि अगर भारतीय उत्पाद वैश्विक बाजार में टिकने हैं, तो उनकी कीमत प्रतिस्पर्धी होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि सिर्फ भारतीय सेनाओं को बेचने के लिए दाम बढ़ाना गलत है, क्योंकि रक्षा निर्यात बढ़ाने के लिए भी किफायती और प्रभावी उत्पाद जरूरी हैं.













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