पहली बार कनाडा ने माना- खालिस्तानी आतंकी भारत के खिलाफ वहां की धरती का कर रहे इस्तेमाल

कनाडा ने आखिरकार मान लिया है कि खालिस्तानी चरमपंथी भारत में हिंसा और आतंकवाद फैलाने के लिए उसकी ज़मीन का इस्तेमाल कर रहे हैं. यह बात कनाडा की खुफिया एजेंसी (CSIS) ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कही है. यह पहली बार है जब कनाडा ने इतनी खुलकर इस बात को स्वीकार किया है, जो भारत के लिए एक बड़ी जीत मानी जा रही है.

CSIS की रिपोर्ट ने खोली पोल

CSIS ने बुधवार को अपनी सालाना रिपोर्ट जारी की, जिसमें कनाडा की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़े खतरों और चिंताओं को बताया गया है. रिपोर्ट में साफ-साफ कहा गया है, "खालिस्तानी चरमपंथी भारत में हिंसा को बढ़ावा देने, पैसे जुटाने या योजना बनाने के लिए कनाडा को एक अड्डे के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं."

इस रिपोर्ट से इस बात की पुष्टि हो गई है कि कनाडा भारत विरोधी तत्वों के लिए एक सुरक्षित ठिकाना बन गया है. भारत सालों से इस बारे में चिंता जता रहा था, जिसे अब CSIS की रिपोर्ट ने सही साबित कर दिया है.

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 1980 के दशक के मध्य से कनाडा में प्राइमरीली मोटिवेटेड वायलेंट एक्सट्रीमिज्म (PMVE) का खतरा मुख्य रूप से कनाडियन-बेस्ड खालिस्तानी एक्सट्रीमिज्म (CBKE) के ज़रिए सामने आया है.

रिपोर्ट में आगे कहा गया है, "कुछ मुट्ठी भर लोग खालिस्तानी चरमपंथी माने जाते हैं, क्योंकि वे कनाडा को भारत में हिंसा को बढ़ावा देने, पैसे जुटाने या योजना बनाने के लिए एक आधार के रूप में इस्तेमाल करते हैं. खासकर, कनाडा से उभरने वाला असली और कथित खालिस्तानी चरमपंथ कनाडा में भारत के विदेशी हस्तक्षेप की गतिविधियों को बढ़ावा देता रहता है."

पहली बार 'उग्रवाद' शब्द का इस्तेमाल

इस रिपोर्ट की सबसे खास बात यह है कि कनाडा ने पहली बार खालिस्तानी समूहों के लिए आधिकारिक तौर पर 'उग्रवाद' (extremism) शब्द का इस्तेमाल किया है. यह एक बहुत बड़ा बदलाव है. पहले कनाडा की सरकार और उसकी एजेंसियां इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लेती थीं या इसे सिर्फ 'सामुदायिक गतिविधियों' का हिस्सा मानती थीं. लेकिन अब CSIS की इस साफ स्वीकारोक्ति से यह पक्का हो गया है कि खालिस्तानी उग्रवादी सिर्फ भारत के लिए ही खतरा नहीं हैं, बल्कि कनाडा की अपनी सुरक्षा के लिए भी चिंता का विषय हो सकते हैं.

कैसे बढ़ा रिश्तों में तनाव?

आपको याद दिला दें कि साल 2023 में कनाडा के तत्कालीन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने दावा किया था कि उनकी सरकार के पास खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत के शामिल होने के सबूत हैं. भारत ने इन आरोपों को "बेतुका" और "प्रेरित" बताते हुए खारिज कर दिया था और कनाडा पर चरमपंथी और भारत विरोधी तत्वों को पनाह देने का आरोप लगाया था.

इसके बाद भारत ने कनाडा से अपने छह राजनयिकों को वापस बुला लिया, क्योंकि निज्जर की हत्या की जांच कर रहे कनाडाई अधिकारियों ने उन्हें अपने लिए खतरा बताया था. निज्जर की 18 जून, 2023 को ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में एक गुरुद्वारे के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

PM कार्नी के फैसले का विरोध

हाल ही में, कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी को जी-7 शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बुलाने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा. कुछ सिख समर्थकों और उनके अपने सांसदों ने इस पर असहमति जताई. हालांकि, कार्नी ने वैश्विक मामलों में भारत के महत्व का हवाला देते हुए अपने फैसले का बचाव किया.

कार्नी ने दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और सबसे ज़्यादा आबादी वाले देश के रूप में भारत की स्थिति पर ज़ोर दिया, जो उसे वैश्विक चुनौतियों से निपटने में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनाता है.