कोलकाता: पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (WBSSE) में ग्रुप डी स्टाफ की दोषपूर्ण भर्ती के लिए स्कूल सेवा आयोग (School Service Commission) की खिंचाई करने के चार दिन बाद कलकत्ता उच्च न्यायालय (Calcutta High Court) ने सोमवार को कथित हेराफेरी की जांच केंद्र सरकार (Central Government) की एजेंसी सीबीआई (CBI) को सौंप दी. मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अभिजीत गणोपाध्याय (Abhijit Ganopadhyay) की पीठ ने कहा, "मेरी किसी भी राजनीतिक दल के साथ कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है, लेकिन बदमाश किसी भी राजनीतिक दल से संबंधित नहीं हो सकते. उनकी पहचान की जानी चाहिए और उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए." मोदी सरकार का बड़ा फैसला, ED और CBI चीफ का कार्यकाल 2 साल से बढ़ाकर किया गया 5 साल
हालांकि, राज्य सरकार की योजना फैसले को चुनौती देने वाली खंडपीठ के पास जाने की है. जांच की घोषणा करते हुए न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने केंद्रीय एजेंसी को एक डीआईजी स्तर के अधिकारी की अध्यक्षता में एक टीम गठित करने और भर्ती को पूरी तरह से देखने को कहा. कोर्ट ने सीबीआई को 21 दिसंबर तक प्रारंभिक जांच रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है.
साल 2016 में राज्य सरकार ने राज्य के विभिन्न स्कूलों में लगभग 13 हजार चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भर्ती के लिए सिफारिश की थी, जिसके बाद डब्ल्यूबीएसएससी ने समय-समय पर परीक्षाएं और साक्षात्कार आयोजित किए और पैनल का गठन किया था. उस पैनल का कार्यकाल 2019 में समाप्त हो गया.
आरोप लगाया गया है कि आयोग ने पैनल की समाप्ति के बाद भी बहुत सारी, लगभग 500 अनियमित भर्तियां कीं. भर्तियां आयोग के क्षेत्रीय कार्यालय से की गई हैं. शुरू में जज को लगा कि उस नियुक्ति की सिफारिश में भ्रम है। उन्होंने आयोग से कहा था, "बस, बहुत हो गया."
गंगोपाध्याय ने कहा था, "इसका मतलब है कि क्षेत्रीय कार्यालय पर आयोग का कोई नियंत्रण नहीं है। मैं एक और घोटाला नहीं चाहता."
कोर्ट ने बुधवार को ग्रुप डी के कथित 25 कर्मचारियों के वेतन पर न सिर्फ रोक लगा दी, बल्कि यह भी कहा कि अदालत सच्चाई का पता लगाने की हर संभव कोशिश करेगी. जरूरत पड़ने पर जांच के लिए सीआईएसएफ द्वारा एसएससी कार्यालय की घेराबंदी की जाएगी. आयोग ने गुरुवार को स्वीकार किया था कि उन्हें भर्ती के बारे में कोई जानकारी नहीं थी और उन्होंने मामले की न्यायिक जांच की मांग की. अदालत ने हालांकि उस दिन जांच का आदेश नहीं दिया था, बल्कि डब्ल्यूबीएसएसई को सोमवार को एक हलफनामा पेश करने के लिए कहा था.