कैबिनेट ने सेबी, मंगोलिया के वित्तीय नियामक आयोग के बीच एमओयू को मंजूरी दी
पीएम मोदी (Photo credit : Twitter)

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) और वित्तीय नियामक आयोग, मंगोलिया (FRC) के बीच द्विपक्षीय समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. एफआरसी, सेबी की तरह, अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभूति आयोग संगठन बहुपक्षीय एमओयू (IOSCO MMOU) का सह-हस्ताक्षरकर्ता है. SEBI सूचीबद्ध कंपनियों का फारेंसिंक आडिट करने के लिये आडीटर की सूची बनायेगा

हालांकि, आईओएससीओ एमएमओयू के दायरे में तकनीकी सहायता का प्रावधान नहीं है.

प्रस्तावित द्विपक्षीय समझौता ज्ञापन, प्रतिभूति कानूनों के प्रभावी प्रवर्तन के लिए सूचना साझाकरण ढांचे को मजबूत करने में योगदान देने के अलावा, एक तकनीकी सहायता कार्यक्रम के निर्माण में भी सहायता प्रदान करेगा.

तकनीकी सहायता कार्यक्रम से अधिकारियों को पूंजी बाजार, क्षमता निर्माण गतिविधियों और कर्मचारियों के प्रशिक्षण कार्यक्रमों से जुड़े मामलों पर परामर्श के माध्यम से लाभ होगा.

सेबी की स्थापना भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 के तहत भारत में प्रतिभूति बाजारों को विनियमित करने के लिए की गई थी. सेबी का उद्देश्य निवेशकों के हितों की रक्षा करना और भारत में प्रतिभूति बाजारों के विकास को विनियमित और बढ़ावा देना है.

2006 में स्थापित, वित्तीय नियामक आयोग (एफआरसी) एक संसदीय प्राधिकरण है, जिस पर बीमा और प्रतिभूति बाजार एवं सूक्ष्म वित्त क्षेत्र के प्रतिभागियों समेत गैर-बैंक क्षेत्र की निगरानी और विनियमन की जिम्मेदारी है. एफआरसी स्थिर और सु²ढ़ वित्तीय बाजार प्रदान करने के लिए जिम्मेदार है.

आयोग गैर-बैंक वित्तीय संस्थानों, बीमा कंपनियों और मध्यवर्ती संस्थाओं, प्रतिभूति फर्मों तथा बचत और ऋण सहकारी समितियों का विनियमन करता है. साथ ही, यह व्यक्तिगत वित्तीय बाजार ग्राहकों (प्रतिभूति धारकों, घरेलू और विदेशी निवेशकों, और बीमा पॉलिसीधारकों) के अधिकारों को सुनिश्चित करता है और वित्तीय कदाचार से सुरक्षा प्रदान करता है.