HC On Human Organ Donation: अंगदान के लिए पति या पत्नी की सहमति आवश्यक नहीं है, हाईकोर्ट ने सुनाया अहम फैसला
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Bombay High Court On Human Organ Transplantation: अंगदान को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट ने अहम फैसला दिया है. इस फैसले के मुताबिक, कोर्ट ने 2018 से किडनी की समस्या से जूझ रहे 64 वर्षीय व्यक्ति को डायलिसिस पर अपने अंगों को दान कर किडनी ट्रांसप्लांट कराने की अनुमति दी थी. मामला उनकी पत्नी के भाई को 2021 से दैनिक डायलिसिस पर एक व्यक्ति को अंग दान करने की अनुमति देने से जुड़ा है.

कोर्ट ने कहा कि कानून को अंगदान के लिए डोनर की पति-पत्नी की सहमति की जरूरत नहीं है. इस मामले में दाता को इस आधार पर गुर्दा दान करने से मना कर दिया गया था कि अलग रह रही पत्नी और बेटी ने सहमति नहीं दी थी. HC On Rape Case: रेप पीड़िता के सहमत होने भर से बलात्कार के मामले को रद्द नहीं किया जा सकता: बॉम्बे हाईकोर्ट

न्यायमूर्ति पटेल ने खुली अदालत में आदेश देते हुए कहा कि पत्नी कह सकती है कि उसे अपनी आर्थिक स्थिति की चिंता है, लेकिन एक बार जब दाता "कह देता है कि उसने पत्नी और बेटी के लिए प्रावधान किया है, तो हमें नहीं लगता कि (पत्नी) को अंगदान से रोकने का कोई अधिकार है दाता के फैसले को चुनौती देने के लिए बजाय उसे दाता के फैसले के लिए सहमति देनी चाहिए.

अंग दान मृत्यु के बाद अपने अंगों या ऊतकों को दान करने की प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य उन्हें किसी जरूरतमंद को प्रत्यारोपित करना है. अंगदान से कई लोगों की जान बचाई जा सकती है. यह गंभीर बीमारियों या उनके अंगों को प्रभावित करने वाली स्थितियों से पीड़ित लोगों के लिए जीवन की गुणवत्ता में सुधार कर सकता है.

अंगदान दो प्रकार के होते हैं- जीवित दान और मृतक दान. लिविंग डोनेशन में किसी जरूरतमंद को किडनी या लीवर या फेफड़े का हिस्सा दान करना शामिल है, जबकि मृतक दान तब होता है जब किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद अंग या ऊतक दान किया जाता है.