Man Can’t Avoid Maintenance To Former Wife Citing Financial Distress: बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने यह स्पष्ट कर दिया कि तलाक के बाद पति से अलग रह रही पत्नी को नियमित रखरखाव के लिए उसे भुगतान करना होगा, भले ही वह वित्तीय संकट में हो. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि वह पत्नी और बच्चों के साथ रहना चाहे तो भी गुजारा भत्ता देने की जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़ सकता है.
न्यायमूर्ति ने कहा “पति की कमाई रिकॉर्ड में आ गई है, और यह सामने आया है कि उसने अपने व्यवसाय के लिए 15 लाख रुपये की राशि उधार ली है. यहां तक कि अगर वह आर्थिक तंगी से जूझ रहा है तब भी अपनी पत्नी और बच्चों को पालने से नहीं बच सकता है, ” न्यायाधीश ने कहा कि यह उसकी नैतिक और कानूनी जिम्मेदारी है कि वह पत्नी का भरण-पोषण करे. POCSO: नाबालिग की योनि में उंगली डालने को POCSO के तहत निजी अंगों में 'प्रविष्टि' का कार्य नहीं माना जाएगा: SC
क्या है मामला
मामले में पत्नी ने दो नाबालिग बच्चों के साथ 39,000 रुपये प्रति माह के रखरखाव का दावा करते हुए आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 125 के तहत अपने पूर्व पति के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया. महिला का कहना है कि "पति के कंपनी छोड़ने के बाद वह खुद और बच्चों का भरण-पोषण करने में असमर्थ है, महिला ने दोनों बच्चों के लिए 7,000 रुपये प्रति माह और खुद के लिए 20,000 रुपये प्रति माह की मांग की है. महिला ने कोर्ट को बताया कि उसका पूर्व पति ऑटोमोबाइल बेचने का कारोबार करता है साथ ही वह प्रति माह 1 लाख रुपये कमाता है.
फैमिली कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद पिछले साल 1 अगस्त को दोनों बच्चों के लिए 5,000 रुपये प्रति माह और पत्नी को 8,000 रुपये प्रति माह गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था. पति को छह महीने के भीतर बकाया राशि का भुगतान करने और आवर्ती रखरखाव का भुगतान जारी रखने के लिए कहा गया था. उन्हें बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाने की जिम्मेदारी भी सौंपी गई थी. पति ने फैमिली कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में वकील के जरिए चुनौती दी थी.
पत्नी को 8,000 रुपये प्रति माह रखरखाव का विरोध करते हुए पूर्व पति ने तर्क दिया कि यह बिना किसी औचित्य के था. याचिकाकर्ता ने कहा कि उसने पत्नी को वापस लाने के लिए हर संभव प्रयास किया, लेकिन वह नहीं आई. उसने बिना किसी पर्याप्त कारण के साथ रहने से इनकार कर दिया. इसलिए, वह उसे किसी भी रखरखाव का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी नहीं है. उसने अपनी आर्थिक तंगी का भी हवाला दिया, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया.