HC on Sexual relationship, Love-Lust and Rape: नाबालिग से बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार व्यक्ति को मिली जमानत, बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा- यौन संबंध का कारण प्यार था
Bombay High Court (Photo Credit: Wikimedia Commons )

मुंबई हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने हाल ही में एक नाबालिग लड़की से बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार एक व्यक्ति को जमानत दे दी, यह देखने के बाद कि दोनों के बीच कथित यौन संबंध प्रेम संबंध के कारण थे, न कि वासना के कारण. सिंगल-जज जस्टिस उर्मिला जोशी-फाल्के ने कहा कि पुलिस को दिए गए एक बयान के अनुसार, मौजूदा मामले में लड़की नाबालिग थी, लेकिन उसने अपनी मर्जी से अपने माता-पिता का घर छोड़ दिया. अपने पुलिस बयान में, नाबालिग ने आरोपी व्यक्ति के साथ अपने "प्रेम संबंध" को स्वीकार किया था. अदालत ने इस तथ्य को भी ध्यान में रखा कि वह आवेदक (अभियुक्त) के साथ विभिन्न स्थानों पर रही और उसने कोई शिकायत नहीं की कि उसे जबरदस्ती ले जाया गया. इस प्रकार, यह स्पष्ट था कि एक प्रेम संबंध के कारण वे एक साथ आए.'

हाई कोर्ट ने कहा, "आवेदक की उम्र भी 26 वर्ष है और प्रेम संबंध के कारण वे एक साथ आए हैं. ऐसा लगता है कि, यौन संबंध की कथित घटना दो युवाओं के बीच आकर्षण के कारण है. ऐसा नहीं प्रतीत होता है कि युवक ने वासना के कारण पीड़िता पर यौन हमला किया.'' Read Also: दिल्ली हाई कोर्ट ने पति की मौत के बाद 29 सप्ताह की गर्भवती महिला को दी गर्भपात की इजाजत.

2020 से हिरासत में था शख्स

अभियोजन पक्ष के मामले के अनुसार, आवेदक नाबालिग लड़की के पड़ोस में रहता था, जो घटना के समय 13 वर्ष की थी. 23 अगस्त 2020 को लड़की अपने सहपाठी से किताब लाने के बहाने घर से निकली. हालांकि, उसके बाद वह घर नहीं लौटी. उसके परिवार ने आसपास के क्षेत्र में उसकी तलाश की और जब उसका पता नहीं चला, तो अमरावती जिले के अंजनगांव सुर्जी पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कराई गई. जांच से पता चला कि लड़की ने अपना घर छोड़ दिया था और आवेदक के साथ थी. दोनों को बेंगलुरु में खोजा गया और उनके लौटने पर आवेदक को 30 अगस्त, 2020 को गिरफ्तार कर लिया गया और तब से वह हिरासत में था.

जबरदस्ती नहीं बनाए यौन संबंध

शख्स के खिलाफ दायर आपराधिक मामले में भारतीय दंड संहिता के तहत बलात्कार के अपराध और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (POCSO अधिनियम) के तहत अपराधों का हवाला दिया गया है. आवेदक ने उच्च न्यायालय के समक्ष दलील दी कि लड़की ने अपनी मर्जी से अपना घर छोड़ा था और कोई जबरदस्ती यौन कृत्य नहीं हुआ था. दूसरी ओर, राज्य ने दलील दी थी कि मामला जघन्य है और चूंकि लड़की नाबालिग है, इसलिए यौन संबंध के लिए उसकी सहमति अमान्य है. राज्य ने दलील दी कि इस प्रकार आरोपी आवेदक के प्रति कोई नरमी नहीं दिखाई जानी चाहिए.

कोर्ट ने मामले के तथ्यों को ध्यान में रखा और इस तथ्य पर भी विचार किया कि मुकदमे में कोई प्रगति नहीं हुई, हालांकि मामले में आरोप पत्र 2020 में दायर किया गया था. पीठ ने उसे कुछ शर्तों के अधीन जमानत देते हुए कहा, “मुकदमे को अंतिम निपटान के लिए अपना समय लगेगा. वही, आवेदक को आगे कैद में रखने की आवश्यकता नहीं है और उसे सलाखों के पीछे रखने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा.''