BJP येदियुरप्पा के बेटे विजयेंद्र को प्रदेश अध्‍यक्ष नियुक्त कर कांग्रेस के समक्ष पेश कर सकेगी चुनौती
B S Yediyurappa | Photo: PTI

बेंगलुरु, 12 नवंबर : कर्नाटक में विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद अब बीजेपी आलाकमान ने बीजेपी विधायक बी.वाई. विजयेंद्र को राज्य इकाई का अध्यक्ष नियुक्त कर अपना पहला कदम उठाया है. इस कदम से पार्टी कार्यकर्ता उत्साहित हैं. लेकिन, देखने वाली बात यह होगी कि क्या विजयेंद्र राज्य में दिन-ब-दिन मजबूत होती जा रही सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी को चुनौती दे पाएंगे या नहीं. हार के बाद, प्रदेश अध्यक्ष और विपक्ष के नेता की नियुक्ति के लिए राज्य नेतृत्व की कई अपीलों का आलाकमान ने कोई जवाब नहीं दिया. सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने इस मुद्दे पर आलोचना की और भाजपा को फटकार लगाई, लेकिन चुनाव के बाद आलाकमान को निर्णय लेने में पांच महीने लग गए.

पार्टी सूत्रों ने दावा किया कि पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा के बेटे विजयेंद्र, राज्य में लिंगायत वोट बैंक का एकीकरण सुनिश्चित करेंगे, जो भगवा पार्टी की मुख्य ताकत है. येदियुरप्पा को पद छोड़ने और पूर्व सीएम जगदीश शेट्टार, उपमुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी को भाजपा द्वारा टिकट देने से इनकार करने के बाद कांग्रेस पार्टी में शामिल होने से कांग्रेस लिंगायत वोट बैंक में घुसपैठ करने में सक्षम हो गई. आईएएनएस से बात करते हुए राजनीतिक विश्लेषक बी. समीउल्ला ने बताया कि कर्नाटक में भाजपा के अध्यक्ष के रूप में विजयेंद्र की नियुक्ति से लिंगायत वोट बैंक भाजपा के लिए बरकरार रहेगा. विधानसभा चुनाव में लिंगायत वोट बैंक टूट गया था और बीजेपी के नए कदम से उसे फिर से मजबूत करने में मदद मिल सकती है. यह भी पढ़ें : Jharkhand: ओवरहेड तार टूटकर गिरने के बाद ट्रेन चालक ने आपातकालीन ब्रेक लगाया, दो लोगों की मौत

उन्होंने कहा,“विजयेंद्र युवाओं के बीच लोकप्रिय हैं. पार्टी पूर्व मंत्री के.एस. ईश्वरप्पा, भाजपा विधायक अरविंद बेलाड, बसनगौड़ा पाटिल यतनाल के साथ कोई जोखिम नहीं ले सकती थी.” समीउल्ला ने कहा,"ऐसा लगता है कि आलाकमान ने बीच का रास्ता चुना है और राज्य में आक्रामक हिंदुत्व को आगे बढ़ाने से पीछे हट गए हैं. समय तय करेगा कि क्या विजयेंद्र मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार जैसे नेताओं का सामना कर पाएंगे, जो हिंदुत्व विचारधारा के कट्टर विरोधी हैं.''

समीउल्ला ने कहा,“राज्य भाजपा के अन्य नेता, पूर्व सीएम बसवराज बोम्मई, पूर्व डिप्टीसीएम - आर. अशोक और डॉ. सी.एन. अश्वथ नारायण को उनका सहयोग करना चाहिए. विजयेंद्र को पूर्व सीएम एच.डी. कुमारस्वामी से तालमेल बिठाना होगा.आलाकमान लिंगायत और वोक्कालिगा संयोजन पर भी काम कर रहा है.'' वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक चन्नबसप्पा रुद्रप्पा ने आईएएनएस को बताया कि अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि विजयेंद्र अपने पिता येदियुरप्पा की तरह जादू पैदा कर पाएंगे या नहीं. आरोप है कि विजयेंद्र ने शैडो सीएम की तरह काम किया और वह अपने पिता को बदनाम करने के लिए जिम्मेदार हैं.

उन्होंने कहा,“बीजेपी युवाओ की ओर रुख कर रही है. जैसे कि भाजपा ने महाराष्ट्र में पूर्व सीएम देवेंद्र फड़नवीस, तमिलनाडु में अन्नामलाई और आंध्र प्रदेश में किशन रेड्डी को सबसे आगे लाया था और अब कर्नाटक में विजयेंद्र को चुना है.” फैसले से यह भी साफ हो गया है कि केंद्रीय नेतृत्व ने राष्ट्रीय महासचिव बी.एल. संतोष. के खिलाफ येदियुरप्पा को प्रमुखता देनी शुरू कर दी है. रुद्रप्पा ने बताया कि विजयेंद्र ने उपचुनावों में राज्य के सभी क्षेत्रों में भाजपा उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित की थी.