दुनियाभर के कई देशों में इन दिनों बर्ड फ्लू का प्रकोप फैल रहा है. भारत में भी कई मामले देखने को मिले हैं. भारत के कुछ हिस्सों में फैले बर्ड फ्लू को लेकर केंद्र सरकार ने सतर्कता बरते हुए लोगों से कच्चे दूध का सेवन न करने की सलाह दी है. साथ मांसाहारी भोजन पर्याप्त तापमान पर पकाकर खाने की सलाह दी है. बर्ड फ्लू के सुर्खियों में आते ही लोग चिकन, अंडे खाने से बचते हैं, लेकिन अब सवाल यह है कि क्या अब दूध से भी ऐसी स्थिति में परहेज करना होगा? और आखिर क्यों चिकन, अंडे के साथ इस लिस्ट में दूध भी शामिल हो गया है. CRISIL REPORT: INDIA में नॉन वेज की तुलना में वेज खाना हो गया है महंगा.
दूध का बर्ड फ्लू से क्या कनेक्शन?
अमेरिका में गाय के दूध में एवियन इन्फ्लूएन्जा यानी बर्ड फ्लू का पता चला है. ऐसे में यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या मौजूदा हालत में गाय या किसी दूसरे मवेशियों का दूध पीना चाहिए या नहीं? अमेरिका के करीब आठ राज्यों में संक्रमित मवेशियों के दूध में वायरस की पुष्टि हुई है. हाल ही में अमेरिका की टेक्सास में एक व्यक्ति में इस बीमारी की पुष्टि हुई. वह व्यक्ति डेयरी मवेशियों के संपर्क में आया था.
ऐसे में लोगों को दूध को अच्छे से उबालकर सेवन करने की सलाह दी है. इसका खतरा कम है लेकिन ऐसा करने से मनुष्यों में वायरस के संचरण को रोकने में मदद मिलेगी.
दूध पीना सुरक्षित है या नहीं?
एफडीए ने बताया है कि कच्चे दूध और साथ ही साथ दुकानों में मिलने वाले दूध में H5N1 वायरस के कुछ अंश पाए हैं. ऐसे में कच्चा दूध पीना हानिकारक हो सकता है. लेकिन पाश्चराइज्ड मिल्क और ऐसे दूध उत्पाद सुरक्षित हैं, क्योंकि लगभग इनका पाश्चराइजेशन किया जाता है. पाश्चराइजेशन की प्रक्रिया में दूध को गर्म किया जाता है, जिससे उसमें मौजूद बैक्टीरिया और वायरस खत्म हो जाते हैं.
विशेषज्ञों का कहना है इसके विपरीत, कच्चे दूध में ये वायरस मौजूद हो सकते हैं. इसमें जानवरों से प्राप्त बिना पाश्चुरीकृत पनीर भी शामिल है. कच्चे दूध में संक्रमित पशुओं के हानिकारक बैक्टीरिया हो सकते हैं जो आपको बीमार कर सकते हैं.