Bilirubin Analysis: बदलेगा बिलीरुबिन विश्लेषण का तरीका, IIT कानपुर ने तैयार की नई स्ट्रिप

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर (IITK) ने मानव रक्त/सीरम में बिलीरुबिन के तीन प्रकारों का एक साथ तेजी से विश्लेषण करने की तकनीक तैयार की है.

IIT Kanpur (Photo Credit: IANS/X)

कानपुर, 12 सितंबर: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर (IITK) ने मानव रक्त/सीरम में बिलीरुबिन के तीन प्रकारों का एक साथ तेजी से विश्लेषण करने की तकनीक तैयार की है. उसने इसे बड़े पैमाने पर निर्माण और बिक्री करने के लिए सेंसा कोर मेडिकल इंस्ट्रुमेंटेशन प्राइवेट लिमिटेड के साथ एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं. इसे नेशनल सेंटर फॉर फ्लेक्सिबल इलेक्ट्रॉनिक्स (एनसीफ्लेक्सई), आईआईटी कानपुर में केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर सिद्धार्थ पाण्डा और डॉ. निशांत वर्मा ने विकसित किया है. यह भी पढ़ें: Dried Ginger Powder to Fight COVID: सूखे अदरक का पाउडर कोरोना के इलाज में है असरदार; रिसर्च में नया खुलासा

यह तकनीक एक नॉन-एंजाइमी इलेक्ट्रोकेमिकल सेंसिंग स्ट्रिप के निर्माण का रास्ता खोलती है, जो रक्त की एक बूंद में कुल और प्रत्यक्ष बिलीरुबिन का एक साथ पता लगा सकती है और एक मिनट में जांच के परिणाम दे सकती है.

आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रोफेसर अभय करंदीकर ने कहा, “स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को समृद्ध करने के लिए प्रभावी पॉइंट-ऑफ-केयर प्रौद्योगिकियों का विकास करना आईआईटी कानपुर की प्राथमिकता रही है. यह नया सेंसर, रक्त में बिलीरुबिन के स्तर का पता लगाने की प्रक्रिया को आसान बनाता है. यह कुछ स्वास्थ्य स्थितियों का पता लगाने वाली प्रक्रियाओं में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा.

इस अद्वितीय पांच-इलेक्ट्रोड कॉन्फ़िगरेशन के समावेश से एक ही स्ट्रिप पर प्रत्यक्ष और कुल बिलीरुबिन का एक साथ पता लगाने की सुविधा मिल जाएगी। इस एमओयू के माध्यम से हम सभी की बेहतर उपयोगिता के लिए इस आविष्कार के प्रभावी विपणन के साथ स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र की जरूरतें पूरी करने की उम्मीद करते हैं.'

इसे नॉन-एंजाइमी इलेक्ट्रोकेमिकल सेंसर विशेष रूप से क्लीनिकल नमूनों में बिलीरुबिन के स्तर का सटीक पता लगाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। बिलीरुबिन हमारे रक्त में एक वर्णक है, जिसके स्तर की जानकारी होने पर स्वास्थ्य संबंधी कुछ समस्याओं के निदान में मदद मिल सकती है.

इसमें नवजातों में पीलिया की स्थिति शामिल है. यह भारत में प्रति 1000 जीवित जन्मे नवजातों पर 7.3 की मृत्यु दर के साथ लगभग 60 फीसद पूर्ण अवधि और 80 प्रतिशत समयपूर्व नवजात शिशुओं को प्रभावित करती है. इसका पता लगाने वाले पारंपरिक तरीकों की सीमाएं सीमित हैं. इसकी तुलना में आईआईटी कानपुर का यह सेंसर न केवल पोर्टेबल और किफायती है, बल्कि बगैर प्रारंभिक प्रसंस्करण के रक्त नमूनों का सीधे विश्लेषण कर सकता है.

इस सेंसर का उपयोग बेडसाइड परीक्षण, क्लीनिकल प्रयोगशालाओं और यहां तक कि स्वास्थ्य जांच केंद्रों में होने की उम्मीद है. इस सेंसर में एक अद्वितीय पांच-इलेक्ट्रोड कॉन्फ़िगरेशन शामिल है, जो एक ही स्ट्रिप पर प्रत्यक्ष और कुल बिलीरुबिन का एक साथ पता लगाने की सुविधा प्रदान करता है.

इस सेंसर में एक नवीन सामग्री शामिल है जिसे 'ट्राइमेटेलिक नैनोकम्पोजिट-आधारित उत्प्रेरक' कहा जाता है, जो नमूने में अन्य घटकों की उपस्थिति के बावजूद बिलीरुबिन का प्रभावी ढंग से पता लगा सकता है.

सरल शब्दों में, यह नवीन तकनीक एक उन्नत उपकरण है जो डॉक्टरों को आपके रक्त में बिलीरुबिन को तुरंत और सटीक रूप से मापने में मदद करेगी, जिससे कुछ चिकित्सीय स्थितियों का निदान आसान हो जाएगा.

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