पटना, 30 दिसंबर : बिहार विधानसभा (Bihar Assembly) में विपक्ष के नेता विजय कुमार सिन्हा ( Vijay Kumar Sinha) ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधा और कहा कि वह अपनी पार्टी के सहयोगी व राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव (Lalu Yadav) के चक्रव्यूह में फंस गए हैं. सिन्हा ने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार की सरकार जल्द ही उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव संभालेंगे, इसलिए मुख्यमंत्री ने 5 जनवरी से यात्रा शुरू करने की घोषणा की है.
उन्होंने कहा, "अगर उनमें (नीतीश कुमार) साहस और हिम्मत है, तो जाएं और सारण जहरीली त्रासदी के पीड़ितों से मिलें और उन्हें मुआवजा दें. नीतीश कुमार अपने फायदे के लिए यात्रा कर रहे हैं. जब भी वह यात्रा के लिए जाते हैं, यह उनके लिए पिकनिक है. नीतीश कुमार को शायद इस बात का अहसास हो गया है कि मुख्यमंत्री के तौर पर उनका कार्यकाल पूरा हो चुका है और राजद मार्च 2023 में उन्हें शीर्ष पद से हटाने की तैयारी कर रहा है." यह भी पढ़ें : PM Modi’s mother Heeraben passes away: पीएम मोदी की मां के निधन पर बॉलीवुड सितारों ने जताया दुख
उन्होंने कहा, "नीतीश कुमार करदाताओं के पैसे से एक जेट और हेलीकॉप्टर खरीदने जा रहे हैं. वह वास्तव में लालू प्रसाद यादव की राजनीति में फंस गए हैं और तेजस्वी यादव के दबाव में इसे खरीद रहे हैं. बिहार के लोग इसे समझ रहे हैं और वे सही समय पर उचित जवाब देंगे." भाजपा के इस कदम से बिहार में जदयू और राजद के बीच दरार पैदा होगी.
जदयू प्रवक्ता अभिषेक झा ने सिन्हा के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "विजय सिन्हा जैसे भाजपा नेता के बयान को उनके मानसिक दिवालियापन के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. सभी जानते हैं कि नीतीश कुमार ने राज्य के आम लोगों के हित में फैसले लिए. यह उनकी 14वीं यात्रा है, जो वे 5 जनवरी से शुरू कर रहे हैं. उन्होंने एक उदाहरण पेश किया है कि कैसे सत्ता में रहने वाला नेता आम लोगों के हित में लगातार यात्राएं कर रहा है. देश में आमतौर पर पार्टियों के नेता विपक्ष में रहते हुए यात्रा करते हैं, लेकिन नीतीश कुमार उनमें से एक अपवाद हैं."
उन्होंने कहा, "भाजपा नेता बिहार सरकार की नीतियों पर सवाल उठा रहे हैं, लेकिन 8500 करोड़ रुपये में खरीदे गए प्रधानमंत्री के विमान पर स्पष्टीकरण नहीं दे रहे हैं. केंद्र सरकार ने संसद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेश दौरों की जानकारी दे दी है, जिन पर 2,000 करोड़ रुपये खर्च हुए. क्या ये करदाताओं के पैसे से नहीं हैं? वे उन खर्चो पर सवाल क्यों नहीं उठा रहे हैं?"