
Odisha Sub-Collector Bribe: ओडिशा के कालाहांडी जिले में बड़ा भ्रष्टाचार सामने आया है. धरमगढ़ में तैनात उप-कलेक्टर धीमान चकमा को 10 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया है. विजिलेंस टीम ने इस कार्रवाई को उनके सरकारी आवास पर अंजाम दिया, जिससे पूरे प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मच गया है. मामला एक स्थानीय व्यवसायी से जुड़ा है. विजिलेंस अधिकारियों के मुताबिक उप-कलेक्टर चकमा ने उस व्यवसायी से कुल 20 लाख रुपये की रिश्वत की मांग की थी. उन्होंने धमकी दी थी कि अगर पैसे नहीं मिले, तो उस व्यवसाय को लेकर प्रशासनिक कार्रवाई की जाएगी.
इसके बाद व्यवसायी ने सतर्कता विभाग (विजिलेंस) में इसकी लिखित शिकायत की. योजना बनाई गई, और एक पकड़ने का जाल (trap operation) बिछाया गया.
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ओडिशा में बड़ा घोटाला
#ओडिशा में एक IAS के सरकारी घर से ये जखीरा मिला है..
IAS साहब का नाम धीमन चकमा है,जो 2021 बैच से ताल्लुक रखते हैं,IAS साहब देश सेवा में तन-मन से लगे हैं,इसलिए उन पर धन की वर्षा हो रही है,IAS साहब बहुत ही ईमानदार हैं, कभी भी सीधे हाथ से रिश्वत नहीं लेते.#sirfsuch #ias pic.twitter.com/r66KdLkAoZ
— ठाkur Ankit Singh (@liveankitknp) June 9, 2025
ऐसे पकड़ा गया आरोपी
सोमवार को, उसी योजना के तहत व्यवसायी को उप-कलेक्टर के घर बुलाया गया. जब उसने पहली किस्त के तौर पर 10 लाख रुपये सौंपे, तो चकमा ने उसे अपने सामने गिनकर दराज में रख लिया. विजिलेंस टीम ने उसी वक्त रेड डाली और चकमा को रंगे हाथों पकड़ लिया. नोटों की गड्डियों की भी सावधानी से जांच की गई थी.
इसके बाद किए गए रासायनिक परीक्षण (Phenolphthalein Test) में चकमा के हाथों और दराज पर रासायनिक प्रतिक्रिया मिली, जिससे रिश्वत लेने की पुष्टि हो गई.
घर से मिला भारी कैश – 47 लाख रुपये
गिरफ्तारी के तुरंत बाद सतर्कता टीम ने उप-कलेक्टर के सरकारी घर की तलाशी शुरू की. जांच में अब तक घर से 47 लाख रुपये नकद बरामद किए जा चुके हैं. ये रुपये अलमारियों, बक्सों और ड्रॉअर में छुपा कर रखे गए थे.
टीम को शक है कि और भी नकद, दस्तावेज और डिजिटल सबूत मौजूद हो सकते हैं। तलाशी अभी जारी है.
केस दर्ज, कानूनी कार्यवाही शुरू
विजिलेंस विभाग ने आरोपी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (संशोधित 2018) की धारा 7 के तहत मामला दर्ज किया है. केस नंबर 6/2025** के तहत कानूनी प्रक्रिया शुरू हो गई है.
विजिलेंस निदेशालय का कहना है कि साक्ष्य काफी मजबूत हैं और आगे की कार्रवाई में अन्य संपत्तियों की भी जांच की जाएगी.
प्रशासनिक साख पर लगा सवाल
धीमान चकमा जैसे वरिष्ठ अधिकारी का रिश्वत में पकड़ा जाना न केवल स्थानीय प्रशासन बल्कि पूरे राज्य के लिए बड़ी शर्मिंदगी का कारण बना है. यह मामला एक बार फिर सरकारी अफसरों की जवाबदेही और ईमानदारी पर सवाल खड़े करता है.
अब जनता की नजर इस बात पर टिकी है कि आरोपी को सख्त सजा मिले और बाकी अधिकारियों के लिए एक कड़ा संदेश जाए.