बेंगलुरु में बढ़ेगी ट्रैफिक की मुश्किलें, 1 अक्टूबर से खत्म होगा वर्क फ्रॉम होम, ऑफिस लौटेंगे कर्मचारी
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बेंगलुरु एक बार फिर ट्रैफिक जाम की वजह से चर्चा में है. शहर, जो पहले से ही लंबी घंटों की जाम के लिए बदनाम है, 1 अक्टूबर से और भी भीड़भाड़ का सामना कर सकता है. आउटर रिंग रोड (ORR) पर स्थित कई निजी कंपनियों ने वर्क फ्रॉम होम और हाइब्रिड मॉडल को खत्म कर दिया है और अब कर्मचारियों को फुल-टाइम ऑफिस लौटने का आदेश दिया है. कंपनियां मानती हैं कि दफ्तर से काम करने से प्रोडक्टिविटी बढ़ेगी, लेकिन कर्मचारियों को सफर का समय और ट्रैफिक के तनाव की चिंता सता रही है.

एक Reddit यूजर ने लिखा, "WFO अनिवार्य हो गया है, 1 अक्टूबर से ट्रैफिक की दिक्कत के लिए तैयार रहिए. कई कंपनियां इसे परफॉर्मेंस और सैलरी से जोड़ रही हैं." कई लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या ट्रैफिक पुलिस को इस बदलाव के बारे में समय रहते जानकारी दी गई है.

ट्रैफिक डेटा में बढ़ोतरी का संकेत

बेंगलुरु ट्रैफिक पुलिस (BTP) के आंकड़ों के अनुसार, ORR के पास मौजूद 26 बड़े टेक पार्कों में वाहनों की एंट्री जून 2025 में पिछले साल की तुलना में 45% तक बढ़ी है. खासतौर पर बुधवार को ट्रैफिक सबसे ज्यादा रहा. एक ही दिन में 1,20,000 से अधिक वाहन यहां से गुजरे, जो पिछले साल जून में सिर्फ 82,000 थे.

ORR के अलावा, सरजापुर रोड और इलेक्ट्रॉनिक्स सिटी की ओर जाने वाले रास्तों पर भी भीड़भाड़ बढ़ने की संभावना है.

बुधवार को सबसे ज्यादा जाम

सीनियर डेवलपर राहुल शेट्टी ने बताया कि वह हफ्ते में चार दिन दफ्तर जा रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि ऑफिस में मौजूद रहना नौकरी की सुरक्षा के लिए जरूरी है. इसी सोच की वजह से एक साथ बहुत से कर्मचारी दफ्तर लौट रहे हैं, जिससे ट्रैफिक जाम और बढ़ गए हैं.

ट्रैफिक जाम को कम करने के लिए नए जॉइंट कमिश्नर कार्तिक रेड्डी ने सुझाव दिया है कि कंपनियां बुधवार को वर्क फ्रॉम होम की अनुमति दें या ऑफिस के घंटे सुबह 7:30 बजे शुरू करके शाम को जल्दी खत्म करें.

कम्यूट टाइम में भारी इजाफा

इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार, बेंगलुरु के लोग औसतन 63 मिनट में 19 किलोमीटर का सफर तय कर रहे हैं, जो पिछले साल की तुलना में 16% ज्यादा है. देश के अन्य बड़े शहरों में भी सफर का समय काफी लंबा है. मुंबई में लोग औसतन 66 मिनट में 25 किलोमीटर, एनसीआर में 65 मिनट में 26 किलोमीटर, चेन्नई में 63 मिनट में 22 किलोमीटर, और हैदराबाद में 58 मिनट में 23 किलोमीटर का सफर कर रहे हैं. ये आंकड़े दिखाते हैं कि बड़े शहरों में ट्रैफिक की समस्या लगातार बढ़ रही है और लोगों के रोजमर्रा के सफर को और कठिन बना रही है.

छंटनी का डर और ऑफिस में मौजूदगी का दबाव

AI के बढ़ते इस्तेमाल और छंटनी के डर से कई कर्मचारी अब ऑफिस में अपनी उपस्थिति दिखाकर नौकरी सुरक्षित करने की कोशिश कर रहे हैं. यही कारण है कि बड़ी संख्या में लोग रोजाना दफ्तर जाने लगे हैं, जिससे सड़कों पर दबाव बढ़ गया है.