आत्मनिर्भर और स्वदेशी भारत का उत्कृष्टतम उदाहरण पेश कर रहा है वाराणसी स्थित बनारस रेल कारखाना. केवल इतना ही नहीं यह अपने ही बनाए हुए रिकॉर्ड तोड़ने का काम कर रहा है. बनारस रेल कारखाना भारतीय रेल का एक महत्वपूर्ण उपक्रम है. यहां रेल इंजन तैयार किए जाते हैं. बनारस रेल कारखाने में इंजन उत्पादन का जहां अपना 25 साल का रिकॉर्ड तोड़ा है, वहीं नवंबर माह में 40 इंजनों का उत्पादन कर एक महीने में अधिकतम उत्पादन का रिकॉर्ड भी बनाया
बनारस रेल कारखाना की महाप्रबंधक अंजलि गोयल बताती हैं कि जो डीएलडब्ल्यू है उसने जुलाई के महीने में 31 लोकोमोटिव्स का एक नया कीर्तिमान स्थापित किया था. एक महीने में सबसे ज्यादा इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव्स का लेकिन अब नवंबर के महीने में 40 लोकोमोटिव्स इंजन बनाकर पहले का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया है. इसी के साथ अब हम अपने पीक परफॉर्मेंस पर आ गए हैं.
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बनारस रेल कारखाना पूरी तरह से स्वदेशी और आत्मनिर्भर भारत का एक उपक्रम है. यह स्वदेशी के सारे मापदंडों को पूरा करते हुए रेल इंजन का उत्पादन कर रहा है और इन्हीं इंजनों को विदेशी में भी सप्लाई करने का काम कर रहा है. इससे देश की कमाई में इज़ाफा हो रहा है.
इस बाबत जानकारी देते हुए अंजलि गोयल बताती हैं कि पांच स्तंभों में से अधिकतर स्तंभों में हम जुड़े हुए हैं. एक स्तंभ था कि हम लोग स्वदेशी का विकास करेंगे. हमारे जो लोकोमोटिव्स इंजन हैं वो 98 प्रतिशत स्वदेशी हैं. दूसरा स्तंभ था कि हम लोग निर्यात करेंगे. हमारे यहां से पहले भी निर्यात हुआ है और अब हमारे पास नए-नए प्रोजेक्ट्स आ रहे हैं.
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बनारस रेल कारखाने में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद यादव और रेलवे बोर्ड के सदस्य राजेश तिवारी की उपस्थिती में नवंबर महीने का 40वां इंजन देश को समर्पित किया गया. कीर्तिमान बनाना और उसे फिर खुद से तोड़ना यह वाकयी बड़े सौभाग्य की बात होती है. ऐसा ही काम कर रहा है बनारस रेल कारखाना.
कीर्तीमान तो बना ही रहा है, साथ ही स्वदेशी और आत्मनिर्भरता का उदाहरण भी पेश कर रहा है. ऐसा कार्य करके बनारस रेल कारखाना बनारस का नाम तो रोशन कर ही रहा है साथ ही रेलवे में भी अपना बड़ा योगदान दे रहा है.