Assembly Elections 2022: 5 राज्यों में 7 चरणों में होंगे चुनाव, 10 फरवरी से सात मार्च तक मतदान, 10 मार्च को मतगणना
मतगणना (Photo Credits: PTI/File)

नई दिल्ली, 8 जनवरी : उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, पंजाब और मणिपुर में आगामी विधानसभा चुनाव 10 फरवरी से 7 मार्च के बीच कुल सात चरणों में होंगे. इसके बाद 10 मार्च को मतगणना होगी. चुनाव आयोग ने शनिवार को यह घोषणा की. मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने कहा कि उत्तर प्रदेश में 10, 14, 20 और 23 फरवरी के साथ ही तीन और सात मार्च को मतदान होगा. इसके अलावा पंजाब, गोवा और उत्तराखंड में 14 फरवरी को जबकि मणिपुर में 27 फरवरी और 3 मार्च को मतदान होगा. चुनाव पूर्ण कोविड प्रोटोकॉल के साथ आयोजित होंगे. महामारी की स्थिति को ध्यान में रखते हुए 15 जनवरी तक किसी भी शारीरिक (फिजिकल) रैलियों, रोड शो, पदयात्रा या वाहन रैलियों की अनुमति नहीं दी जाएगी. सभी पार्टियों को वर्चुअल मोड में कैंपेन चलाने की सलाह दी गई है. अनुच्छेद 171 (1) का हवाला देते हुए चंद्रा ने कहा कि विधानसभा का कार्यकाल पांच साल में खत्म होना है और इसलिए चुनाव जरूरी हैं.

चुनाव कराने के लिए कोविड प्रोटोकॉल के अनुसार, सभी चुनाव अधिकारियों का दोहरा टीकाकरण किया जाएगा, उन्हें बूस्टर खुराक दी जाएगी और उन्हें फ्रंटलाइन वर्कर्स के रूप में भी माना जाएगा. बूथों को पूरी तरह से सेनेटाइज किया जाएगा और मतदान कर्मियों के लिए पर्याप्त दस्ताने, सैनिटाइजर आदि उपलब्ध रहेंगे. चुनाव वाले पांच राज्यों में 15 करोड़ से अधिक लोगों को वैक्सीन की पहली खुराक मिल चुकी है, जबकि नौ करोड़ लोगों को दोनों इंजेक्शन मिले हैं. सभी राज्यों में मतदान का समय एक घंटे बढ़ा दिया गया है. अंतिम मतदाता सूची 5 जनवरी को प्रकाशित हुई थी. सर्विस वोटर्स सहित कुल 18.34 करोड़ मतदाता हैं. इनमें 8.55 करोड़ महिलाएं हैं. चुनाव आयोग ने मतदाताओं की संख्या बढ़ाने का प्रयास किया है और इसके परिणामस्वरूप, उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक मतदाता वृद्धि के साथ सभी राज्यों में वृद्धि देखी गई है. यह भी पढ़ें : UP Election 2022: चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद सीएम योगी का ट्वीट, जनता की आशीर्वाद से फिर से राज्य में सरकार बनेगी

कुल 24.5 लाख ऐसे मतदाता हैं, जो पहली बार वोट डालेंगे. इसके अलावा 30.47 लाख वरिष्ठ नागरिक हैं. चुनाव आयोग ने प्रति बूथ मतदाताओं की संख्या को 1,250 तक सीमित कर दिया है, जिसके परिणामस्वरूप मतदान केंद्रों की संख्या बढ़कर 30,334 हो गई है. कोरोना संकट के बीच प्रति मतदान केंद्र पर मतदाताओं की औसत संख्या कम रखने पर जोर दिया गया है. चंद्रा ने कहा कि प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में कम से कम एक बूथ का प्रबंधन विशेष रूप से महिलाओं द्वारा किया जाएगा. उन्होंने कहा, अब उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड को स्थानीय समाचार पत्रों और टेलीविजन चैनलों में कम से कम तीन बार प्रकाशित करना अनिवार्य होगा. यहां तक कि पार्टियों से भी अपने उम्मीदवारों के साथ ऐसा करने की उम्मीद की जाती है. इससे पहले, चंद्रा ने कहा कि आयोग ने इन चुनावों के लिए तीन लक्ष्य निर्धारित किए हैं: कोविड मुक्त चुनाव, परेशानी मुक्त मतदान का अनुभव और मतदाताओं की अधिकतम भागीदारी. चुनाव आयोग की टीमों की ओर से चुनावी राज्यों का दौरा करने के साथ कम से कम छह महीने से तैयारी चल रही है.