नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर पूरे देश में विरोध प्रदर्शन जारी है. दिल्ली हो या फिर उत्तर प्रदेश या महाराष्ट्र देश के कई राज्यों में इस कानून का विरोध हो रहा हैं. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि जब तक मोदी सरकार इस कानून को वापस नहीं लेगी तब तक उनका प्रदर्शन जारी रहेगा. हालांकि मोदी सरकार की तरफ से लगातार कहा जा रहा है कि इस कानून से लोगों की नागरिकता जायेगी नहीं बल्कि दी जाएगी. लेकिन प्रदर्शनकारी सरकार की बात मानने को तैयार नहीं है. वहीं इस कानून को लेकर लगातार मोदी सरकार को घेरने वाले आईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने प्रधानमंत्री पर हमला बोलते हुए झूठ बोलने का आरोप लगाया है.
असदुद्दीन ओवैसी मंगलवार को आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में आयोजित एक रैली में शामिल होने के लिए गए पहुंचे थे. जहां पर उन्होंने लोगों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री झूठ बोलने की बात कह हमला किया.उन्होंने कहा कि मोदी सरकार बोल रही है कि सीएए से लोगों की नागरिकता छिनेगी नहीं बल्कि दी जायेगी. ऐसे में पीएम मोदी से उनका सवाल है कि असम में हाल ही के दिनों में एनआरसी हुआ. जिसमें 19 लाख लोगों के नाम नहीं आए. जिसमें से 5 लाख मुसलमान हैं. अब सरकार 13 लाख गैर मुसलमान लोगों को नागरिकता देनी चाहेगी और देगी. लेकिन मुसलमानों का क्या. यह भी पढ़े: असदुद्दीन ओवैसी की धमकी, कहा-पीएम मोदी के खिलाफ बोलने पर दर्ज होता है देशद्रोह का केस, अगर लोग सड़कों पर आ गए तो जेलों में नहीं बचेगी जगह
विजयवाड़ा, AIMIM के नेता असदुद्दीन ओवैसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी झूठ बोल रहे हैं कि CAA नागरिकता छीनता नहीं देता है।असम में हाल ही में NRC हुआ जिसमें 19 लाख लोगों के नाम नहीं आए। जिसमें से 5 लाख मुसलमान हैं।अब सरकार 13 लाख गैर मुसलमान लोगों को नागरिकता देनी चाहेगी और देगी। pic.twitter.com/7AsnOyZvFr
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 18, 2020
बता दें कि असम हुए एनआरसी में 19 लाख लोगों का लिस्ट में नाम नहीं आया है. जिनमें पांच लाख मुसलमानों का नाम शामिल हैं. जिन्हें उनकी नागरिकता साबित करने के लिए विदेशी ट्रिब्यूनल में जाकर मुकदमा लड़कर नागरिका साबित करने की बात कही जा रही हैं नहीं तो उन्हें डिटेंशन सेंटर में डालने की बात की जा र रही है.
ज्ञात हो कि सीएए के तहत हिंदुओं, पारसियों, सिखों, बौद्धों, जैनियों और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता प्रदान करना है- जिन्हें अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान में धार्मिक रूप से प्रताड़ित है. जो लोग 31 दिसंबर, 2014 को या इससे पहले भारत आए हुए हैं. उन्हें इस कानून के तहत नागरिकता देने का प्रावधान हैं .