अरुणाचल प्रदेश में हिमस्खलन में शहीद हुए 7 जवानों को सेना ने दी श्रद्धांजलि

भारतीय सेना ने शनिवार को अरुणाचल प्रदेश में हिमस्खलन में फंसने के बाद शहीद हुए सात सैनिकों को श्रद्धांजलि दी. रक्षा प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल हर्षवर्धन पांडे ने कहा कि शनिवार को तेजपुर वायु सेना स्टेशन (असम) में माल्यार्पण समारोह आयोजित किया गया, जहां जनरल ऑफिसर कमांडिंग, गजराज कोर, लेफ्टिनेंट जनरल रविन खोसला और अन्य सैन्य अधिकारियों ने बहादुरों को अंतिम सम्मान दिया.

हिमस्खलन (Photo Credits: Twitter)

गुवाहाटी, 12 फरवरी : भारतीय सेना ने शनिवार को अरुणाचल प्रदेश में हिमस्खलन में फंसने के बाद शहीद हुए सात सैनिकों को श्रद्धांजलि दी. रक्षा प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल हर्षवर्धन पांडे ने कहा कि शनिवार को तेजपुर वायु सेना स्टेशन (असम) में माल्यार्पण समारोह आयोजित किया गया, जहां जनरल ऑफिसर कमांडिंग, गजराज कोर, लेफ्टिनेंट जनरल रविन खोसला और अन्य सैन्य अधिकारियों ने बहादुरों को अंतिम सम्मान दिया.

ड्यूटी के दौरान सर्वोच्च बलिदान देने वाले हवलदार जुगल किशोर, राइफलमैन अरुण कट्टल, राइफलमैन अक्षय पठानिया, राइफलमैन विशाल शर्मा, राइफलमैन राकेश सिंह, राइफलमैन अंकेश भारद्वाज और गार्नर (टीए) गुरबाज सिंह के पार्थिव शरीर पर माल्यार्पण किया गया. पुष्पांजलि समारोह के बाद, सैनिकों के पार्थिव शरीर को अखनूर, कठुआ, धारकलां, बाजीनाथ, कांगड़ा, घमारवीन और बटाला भेजा गया, जो पंजाब, हिमाचल प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर राज्यों में शहीद हुए सेना के जवानों के मूल स्थान हैं. पांडे ने कहा कि बहादुर एक गश्ती दल का हिस्सा थे, जो 6 फरवरी को अरुणाचल प्रदेश के कामेंग सेक्टर के ऊंचाई वाले इलाके में हिमस्खलन की चपेट में आ गये थे. विशेष टीमों के एयरलिफ्टिंग सहित तुरंत खोज और बचाव अभियान शुरू किया गया था. यह भी पढ़ें : Uttarakhand Election 2022: पीएम मोदी का बड़ा आरोप, कहा- कांग्रेस की दशकों से एक ही पॉलिसी रही है, चुनाव में बड़े-बड़े वादे करो, सरकार बनाओ

रक्षा प्रवक्ता ने कहा कि बचाव दल ने उच्चतम स्तर के सौहार्द और एस्प्रिट-डी-कोर का प्रदर्शन करते हुए, 14,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित एक क्षेत्र में प्रतिकूल मौसम की स्थिति में अपने गिरे हुए भाइयों को बरामद किया, जिसमें विश्वासघाती इलाके और ऊंची चोटियां हैं. उन्होंने कहा कि घटना के क्षेत्र में पिछले कुछ दिनों से भारी बर्फबारी और खराब मौसम देखा जा रहा है, जिससे शहीद हुए सैनिकों का पता लगाने और उन्हें निकालने के लिए विशेष टीमों के लिए बचाव अभियान और अधिक चुनौतीपूर्ण हो गया है.

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