क्या विदेश में तीन तलाक, मुस्लिम पर्सनल लॉ, अनुच्छेद 370 जैसे प्रावधान हैं? अमित शाह का विदेशी मीडिया से सवाल
Amit Shah | ANI

नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून यानी CAA देश में लागू हो गया है, लेकिन विपक्षी दल लगातार सीएए के विरोध में आवाज उठा रहे हैं. ऐसे में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक बार फिर विपक्ष को कड़ा जवाब दिया है. गृह मंत्री ने दो टूक कहा कि CAA को कभी भी वापस नहीं लिया जाएगा. इसके साथ ही गृह मंत्री ने विदेशी मीडिया को भी स्पष्ट शब्दों में जवाब दिया. विदेशी मीडिया द्वारा तीन तलाक, CAA और अनुच्छेद 370 पर सवाल उठाए जाने पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, "विदेशी मीडिया से पूछिए कि क्या उनके देश में तीन तलाक, मुस्लिम पर्सनल लॉ, अनुच्छेद 370 जैसे प्रावधान हैं." CAA Implementation: मृत शरीर में जैसे जान आ गई हो... CAA लागू होने पर बोले पाकिस्तान से आए हिंदू.

विपक्षी नेताओं द्वारा यह कहे जाने पर कि अगर INDIA गठबंधन चुनाव जीतती है तो CAA को रद्द कर दिया जाएगा पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, "उन्हें भी पता है कि INDI गठबंधन सत्ता में नहीं आने वाली है. CAA के कानून को प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में बीजेपी सरकार लाई है, इसे रद्द करना असंभव है...यह पूर्णतः संवैधानिक रूप से वैध कानून है... सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून पर कोई स्टे नहीं लगाया है.

तुष्टिकरण की राजनीति कर रहा विपक्ष

केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल द्वारा कहे जाने पर कि वे अपने राज्यों में CAA लागू नहीं करेंगे के सवाल पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, "हमारे संविधान के अनुच्छेद 11 में संसद ने नागरिकता के बारे में कानून बनाने का अधिकार सिर्फ और सिर्फ भारत की संसद को दिया है. यह केंद्र का विषय है, केंद्र और राज्यों का साझा विषय नहीं है...मुझे लगता है चुनाव के बाद सभी सहयोग करेंगे. वे तुष्टिकरण की राजनीति के लिए गलत प्रचार कर रहे हैं."

असम में CAA के कार्यान्वयन और CAA और NRC के संबंध पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, "NRC का CAA से कोई लेना-देना नहीं है. असम नहीं बल्कि देश के हर हिस्से में CAA लागू होगा, सिर्फ नॉर्थ ईस्ट के वह राज्य जहां दो तरह के विशेष अधिकार दिए गए हैं, सिर्फ उन्हीं इलाकों में CAA लागू नहीं होगा. इसमें वे क्षेत्र शामिल हैं जहां इनर लाइन परमिट (ILP) का प्रावधान है और वे क्षेत्र जिन्हें संविधान की 6वीं अनुसूची के तहत विशेष दर्जा दिया गया है."

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, "अखंड भारत का जो हिस्सा थे और जिन पर धार्मिक प्रताड़ना हुई है उन्हें शरण देना मैं मानता हूं हमारी नैतिक और संवैधानिक जिम्मेदारी है/ जब विभाजन हुआ तब पाकिस्तान में 23% सिख और हिंदू थे आज 3.7% बच गए. वे यहां तो नहीं आए. उनका धर्म परिवर्तन किया गया, उन्हें अपमानित किया गया, दोयम दर्जे के नागरिक के नाते उन्हें रखा गया. ये लोग कहां जाएंगे? क्या देश की संसद इसका विचार नहीं करेगी? अगर मैं बांग्लादेश की बात करूं तो 1951 में वहां हिंदू आबादी 22% थी लेकिन अब आंकड़ों के मुताबिक 2011 में हिंदू आबादी घटकर 10% रह गई है, वे कहां गए?"