
Pahalgam Terror Attack: 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की जान चली गई थी. इस बड़े आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना आतंकवादियों के खिलाफ अभियान चला रही है. अब जानकारी में यह सामने आया है की पहलगाम में भयानक हिंसा फैलाने वाले आतंकवादियों ने अप्रैल के पहले सप्ताह में बैसरन घाटी की रेकी की थी. वे हथियारबंद होकर 22 अप्रैल को मासूम नागरिकों की हत्या करने के लिए घात लगाकर बैठे थे. प्रारंभिक जांच से यह भी पता चला है कि खराब मौसम के कारण हमला दो दिन पहले हो सकता था.
पहलगाम आतंकी हमले के एक सप्ताह बाद, चश्मदीदों ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को बताया कि दो आतंकवादी फूड स्टॉल के पीछे बैठे थे और लगभग 2:30 बजे, वे उठे और दुकानों पर नाश्ता कर रहे पर्यटकों से उनके धर्म के बारे में पूछा और मिनटों में चार लोगों की हत्या कर दी.
धर्म पूछकर बनाया निशाना
शुरुआती संदेह था कि आतंकवादी आसपास के पहाड़ों से उतरे और तुरंत गोलीबारी शुरू कर दी. लगभग 30 मिनट तक चले इस नरसंहार के दौरान, आतंकवादियों ने पर्यटकों को अपना धर्म बताने के लिए 'कलमा' पढ़ने के लिए कहा, जिसके बाद उन्हें करीब से गोली मार दी गई. उन्होंने ज्यादातर हिंदू पुरुषों के साथ-साथ एक स्थानीय टट्टू संचालक और एक नेपाली नागरिक सहित 26 लोगों की हत्या कर दी.
सोची-समझी साजिश, निशाना बनाकर हत्या
NIA का मानना है कि यह अंधाधुंध गोलीबारी नहीं थी, जैसा कि शुरू में संदेह था. एजेंसी के अधिकारियों ने कहा, "उन्होंने प्रत्येक पहचाने गए पीड़ित के सिर पर खास निशाना साधा." बचे लोगों के अनुसार, दहशत तब फैल गई जब पहले दो आतंकवादियों ने चार पर्यटकों को सिर में गोली मार दी. फिर अन्य दो आतंकवादी जिप लाइन के पास से निकले और भाग रहे भीड़ पर फायरिंग शुरू कर दी.
दो सप्ताह पहले की गई थी रेकी
सूत्रों के अनुसार, खुफिया जानकारी से पता चला है कि अप्रैल के पहले सप्ताह में पहलगाम के होटलों की रेकी की गई थी. NIA अब स्थानीय लोगों से पूछताछ कर रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या कोई संदिग्ध गतिविधि देखी गई थी. होटलों में लगे सीसीटीवी कैमरों की भी जांच की जा रही है.
खराब मौसम ने टाली योजना?
यह भी जांच की जा रही है कि क्या खराब मौसम के कारण आतंकवादियों की योजना में देरी हुई थी. स्थानीय निवासियों के अनुसार, 22 अप्रैल को पर्यटकों की संख्या सबसे अधिक थी क्योंकि 20 और 21 अप्रैल को बारिश हुई थी, जिससे कई लोगों की योजनाओं में बदलाव आया था. टट्टू संचालक रौफ वानी ने अनुमान लगाया कि हमले के दिन बैसरन में लगभग 5,000 लोग - स्थानीय और गैर-स्थानीय - मौजूद थे. तो, क्या आतंकवादियों ने अधिकतम भीड़ और "सही संकेत" का इंतजार किया, इससे पहले कि वे साजिश को अंजाम दें? एजेंसी के अधिकारियों का कहना है कि किसी भी संभावना को खारिज नहीं किया जा रहा है.