श्रीनगर. बीते वर्ष अमरनाथ श्रद्धालुओं की एक बिना सुरक्षा वाली बस पर हुए हमले से सबक लेते हुए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने इस साल 'पहचानों एवं पता करो की नीति' अपनाई है. यह नीति गुरुवार से शुरू हो रही कश्मीर के हिमालय में स्थित गुफा मंदिर की वार्षिक तीर्थयात्रा के लिए भक्तों को लाने-ले जाने वाले वाहनों के लिए लागू की जा रही है.
श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए प्राथमिक रूप से जिम्मेदार सीआरपीएफ (CRPF) ने राज्य और केंद्रीय एजेंसियों के सहयोग से पहचान सुनिश्चित करने के लिए कई हेल्प डेस्क और पर्यटक रिसेप्शन केंद्र स्थापित किए हैं. साथ ही अमरनाथ तीर्थयात्रियों को ले जाने वाले गैर-पंजीकृत वाहनों पर रेडियो आवृत्ति पहचान (आरएफआईडी) टैग भी चिपकाए गए हैं.
सीआरपीएफ की 73 बटालियन के कमांडर पी.पी. पॉली ने कहा कि आरएफआईडी डिवाइस सामान पर लगे टैग की संग्रहीत जानकारी को पढ़ने और कैप्चर करने के लिए रेडियो तरंगों का उपयोग करता है. वाहन पर टैग उस वक्त लगाया जाएगा, जब कोई व्यक्ति या यात्रा पर लाने वाला संचालक अमरनाथ यात्रा के लिए पंजीकरण करेगा.
अधिकारी ने कहा कि आरएफआईडी से यह पहचान करने में मदद मिलेगी कि कौन-सा वाहन किस मार्ग पर यात्रा कर रहा है और उस वक्त उसकी क्या स्थिति है.
अभी तक 131 वाहनों पर आरएफआईडी टैग लगाया जा चुका है. आरएफआईडी टैग वाहनों का पता लगाने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग 44 के माध्यम से गुफा तक जाने वाले विभिन्न रास्तों पर चार उपनिगरानी केंद्र स्थापित किए गए हैं.
श्रीनगर में बेमिना एवं बंधा चौक पर दो उपकेंद्र के साथ एक केंद्रीय निगरानी केंद्र को भी वाहनों की चौबीसों घंटे की आवाजाही पर नजर रखने के लिए स्थापित किया गया है.
60 दिनों की इस अमरनाथ तीर्थयात्रा के लिए जम्मू-कश्मीर आने वाले श्रद्धालुओं को विभिन्न तरीकों से सतर्क किया जा रहा है, जिसमें हेल्प डेस्क और श्रीनगर आने वाली उड़ानों की घोषणा सहित अपने वाहनों को आरएफआईडी डिवाइस से टैग करना नहीं भूलने की घोषणा शामिल है. 26 अगस्त को समाप्त होने वाली यात्रा के लिए यह पहल अपने आप में अनोखी है.
पिछले साल 10 जुलाई को अमरनाथ यात्रियों को ले जा रही है एक बस पर आतंकियों ने हमला कर दिया था। बस बालटाल से जम्मू की ओर जा रही थी। हमले में आठ श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हुए थे.
जम्मू-कश्मीर में पहले से ही 33,600 सीआरपीएफ जवानों को तैनात किया जा चुका है. इसमें 238 कंपनियां शामिल हैं. 3,888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा के मार्ग पर सुरक्षा प्रदान करने के लिए विशेष रूप से अर्धसैनिक बल के लगभग 24,000 जवानों को तैनात किया गया है.
पहलगाम और बालटाल मार्गों पर अन्य अर्धसैनिक बलों के अतिरिक्त 2,530 जवानों को भी तैनात किया गया है.
समन्वित सुरक्षा उपायों को सुनिश्चित करने के लिए एक संयुक्त नियंत्रण कक्ष कार्य कर रहा है. तीर्थयात्रियों के शिविरों की निगरानी पुलिस अधीक्षक और पुलिस के एक वरिष्ठ अधीक्षक द्वारा की जाएगी. साथ ही ड्रोन के माध्यम से शिविरों की हवाई निगरानी भी की जाएगी.