प्रयागराज, 22 जून: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपराध हिस्ट्री शीट खोलने के बाद उसकी समीक्षा न करने पर उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है कोर्ट ने राज्य सरकार को 26 जून को जवाब देने का निर्देश दिया है न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की खंडपीठ ने यह आदेश शोएब इब्राहिम की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया. यह भी पढ़े: tiq Ahmed History: अतीक अहमद का उत्थान और पतन की कहानी बॉलीवुड थ्रिलर की तरह, जानें कैसे ट्रेनों से कोयला चुराने वाला अपराधी बना
याचिकाकर्ता के वकील का तर्क यह है कि बिना किसी कारण के याचिकाकर्ता के मानवाधिकारों और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता की हिस्ट्रीशीट अप्रैल 1997 को खोली गई थी और उत्तर प्रदेश पुलिस रेगुलेशन के विनियमन 231 के अनुसार, हिस्ट्रीशीट की हर दो साल में समीक्षा की जानी चाहिए। लेकिन ऐसा कभी नहीं किया गया.
इस महीने की शुरुआत में, सरकारी वकील को मामले में निर्देश प्राप्त करने को कहा गया था और उन्होंने एकमात्र जानकारी यह दी थी कि याचिकाकर्ता का लगभग 18 मामलों का आपराधिक इतिहास है वह अदालत को यह बताने में असमर्थ रहे कि आपराधिक मामलों का नतीजा क्या हुआ वह अदालत को यह भी बताने में असमर्थ रहे कि याचिकाकर्ता 1997 से हिस्ट्रीशीटर क्यों बना हुआ है
इसलिए, अदालत ने एक सप्ताह की अवधि के भीतर एक विस्तृत जवाबी हलफनामा दायर किया जाए.