लखनऊ, 6 दिसम्बर : उत्तर प्रदेश से टीबी को खत्म करने की दिशा में प्रदेश सरकार ने अहम कदम उठाया है. सभी टीबी मरीजों की एचआईवी और डायबिटीज की जांच कराई जाएगी. इससे टीबी मरीजों में इन बीमारियों के संक्रमण को शुरुआत में पकड़ने में मदद मिलेगी. बीमारी पर काबू पाने में भी सफलता मिलेगी. उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने बुधवार को स्वास्थ्य विभाग व मेडिकल संस्थान के अधिकारियों को यह निर्देश दिए. डिप्टी सीएम ने कहा कि सभी सरकारी अस्पतालों में टीबी की जांच और इलाज मुफ्त हो रहा है. अब सभी टीबी, डायबिटीज और एचआईवी जांच कराई जाए.
उन्होंने कहा कि टीबी मरीजों में रोगों से लड़ने की शक्ति कम हो जाती है. ऐसे में दूसरी बीमारियां मरीजों को आसानी से अपना शिकार बना सकती हैं. टीबी मरीजों में एचआईवी संक्रमण और डायबिटीज का खतरा कई गुना ज्यादा रहता है. मौजूदा समय में 96 प्रतिशत टीबी रोगियों की डायबिटीज जांच हो रही है. एचआईवी संक्रमित की भी 96 प्रतिशत जांच हो रही है. इसे 100 फीसदी करना है. यह भी पढ़ें : देश को बांटने का प्रयास कर रहे हैं ‘इंडिया’ के घटक दल: मेघवाल
ज्ञात हो कि राज्य की टीबी जांच दर 2021 की स्थिति से 2023 में दो गुनी हो गयी है. वर्तमान टीबी जांच दर 1151 प्रति लाख जनसंख्या की हो रही है. वर्ष 2023 में देश की नोटिफिकेशन 22.34,689 में उत्तर प्रदेश 5,45,630 का योगदान है जो लगभग करीब 25 प्रतिशत है. प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के अर्न्तगत 1.7 लाख पोषण किट वितरित किए गए हैं जो देश में सबसे अधिक है. निक्षय पोषण योजना के अन्तर्गत 500 रुपये प्रति माह की दर से अब तक टीबी रोगियों को 516 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि दी जा चुकी है.