लखनऊ: देश में शिया मुसलमानों के सबसे बड़े संगठन आल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के आगामी 28 जुलाई को होने वाले वार्षिक अधिवेशन में मॉब लिंचिंग पर कड़े कानून और शिया समुदाय के लिये सच्चर समिति की तर्ज पर अलग से समिति गठित करने समेत कई अहम मुद्दों पर चर्चा होगी. बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना यासूब अब्बास ने रविवार को 'भाषा' को बताया कि 28 जुलाई को लखनऊ में होने वाले बोर्ड के एकदिवसीय वार्षिक अधिवेशन में सरकार से मॉब लिंचिंग के खिलाफ सख्त कानून बनाने की मांग की जाएगी.
मॉब लिंचिंग की घटनाओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि एक खास समुदाय के लोगों को भीड़ द्वारा हिंसा का शिकार बनाया जा रहा है। शिया समुदाय मानता है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिये सख्ततरीन कानून बने। मॉब लिचिंग के लिये मौत की सजा तक मुकर्रर की जानी चाहिये. अब्बास ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 'सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास' का नारा देते हैं, लेकिन कुछ नेताओं के बयानात से विश्वास बढ़ने की बजाय टूट रहा है. बोर्ड प्रवक्ता ने कहा कि बोर्ड की बैठक के एजेंडा में सरकारों द्वारा शिया समुदाय को नजरअंदाज किये जाने का मुद्दा भी शामिल है। उन्होंने आरोप लगाया कि आजादी के बाद से ही सरकारों ने शिया समुदाय की उपेक्षा करते हुए उन्हें उनका हक नहीं दिया. यह भी पढ़े: मॉब लिंचिंग पर बोले आजम खान-1947 में पाकिस्तान न जाने की सजा भुगत रहे हैं मुसलमान, अब जो होगा सहना पड़ेगा
उन्होंने कहा कि शिया पर्सनल लॉ बोर्ड चाहता है कि सरकार सच्चर समिति की तर्ज पर शिया मुसलमानों की आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक स्थिति के अध्ययन के लिये अलग से कोई समिति गठित करे। यह समिति शिया समुदाय के हालात का सर्वेक्षण करके उन्हें उनकी आबादी के हिसाब से हक दे. अब्बास ने कहा कि शिया मुसलमान अल्पसंख्यकों में भी अल्पसंख्यक हैं। देश में उनकी आबादी लगभग पांच फीसद ही है।