संसद में उपस्थिति और प्रश्न पूछने में यूपी के सांसदों में अखिलेश यादव का प्रदर्शन सबसे खराब
अखिलेश यादव (Photo Credits: ANI)

नई दिल्ली, 15 जून: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रति सहानुभूति रखने वाले लेखक एवं नीति विश्लेषक शांतनु गुप्ता के अनुसार, संसद में 36 प्रतिशत की उपस्थिति और शून्य प्रश्नों के साथ, अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश से सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले सांसद हैं. लेखक एवं नीति विश्लेषक शांतनु गुप्ता की ओर से संकलित शोध के अनुसार, उत्तर प्रदेश के सांसदों की औसत उपस्थिति 88 प्रतिशत है, जो इसी अवधि में राष्ट्रीय औसत 82 प्रतिशत से छह प्रतिशत अधिक है. यह भी पढ़ें: सुशील मोदी ने लालू प्रसाद, अखिलेश यादव को कोरोना टीके पर अविश्वास फैलाने का बताया 'ब्रांड अम्बेसडर' कहा- इन्हें गरीबों के जीवन की परवाह नहीं

गुप्ता ने कहा कि उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के विपरीत, प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सांसद रहते हुए काफी सक्रिय थे. उदाहरण के लिए, 2014-2017 (16वीं लोकसभा) के दौरान, योगी आदित्यनाथ ने 50.6 के राष्ट्रीय औसत के मुकाबले 57 बहसों में भाग लिया था. उस दौरान योगी ने 199 के राष्ट्रीय औसत के मुकाबले कुल 306 प्रश्न पूछे थे. योगी आदित्यनाथ ने उस अवधि के दौरान 1.5 के राष्ट्रीय औसत के मुकाबले 3 प्राइवेट मेंबर बिल पेश किए थे.

संकलित शोध के अनुसार, उपस्थिति, पूछे गए प्रश्न, वाद-विवाद और प्राइवेट मेंबर बिल से जुड़े इन चारों मामलों में अखिलेश यादव का संसद में प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा है. वह न तो उत्तर प्रदेश में जमीनी स्तर पर नजर आ रहे हैं, और न ही संसद में मौजूद रहे.

इसके विपरीत, कोविड की दूसरी लहर के दौरान योगी आदित्यनाथ कोरोना निगेटिव होने के तुरंत बाद जमीनी स्तर पर (ग्राउंड जीरो) नजर आने लगे थे. योगी ने 2 हफ्तों के दौरान कई जिलों की निगरानी की. अपने दौरे के दौरान योगी अखिलेश यादव के गृह नगर सैफई (इटावा) और अखिलेश के लोकसभा क्षेत्र आजमगढ़ भी गए. गुप्ता ने कहा कि इसी अवधि के दौरान अखिलेश ने खुद को लखनऊ में अपने महलनुमा घर में बंद कर लिया और खुद को केवल ट्वीट करने तक ही सीमित रखा. यह भी पढ़ें: चिराग पासवान को झटका, लोकसभा में चाचा पशुपति पारस होंगे LJP के नेता, स्पीकर ने दी मान्यता

36 प्रतिशत उपस्थिति के साथ समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की उत्तर प्रदेश के सांसदों में सबसे कम उपस्थिति दर्ज की गई है. इस अवधि में संसद में 44 प्रतिशत उपस्थिति के साथ सोनिया गांधी का उत्तर प्रदेश के सांसदों के बीच दूसरा सबसे खराब उपस्थिति रिकॉर्ड है. गुप्ता के शोध के अनुसार, यह सराहनीय है कि उत्तर प्रदेश के 4 भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसदों  भोलानाथ, जगदंबिका पाल, प्रदीप कुमार और राजवीर दिलेर की इस अवधि में संसद में शत-प्रतिशत उपस्थिति रही.

यह बात भी ध्यान देने योग्य है कि छह बार के दो सांसद पंकज चौधरी और बृज भूषण शरण सिंह, दोनों भाजपा से क्रमश: 95 प्रतिशत और 98 प्रतिशत उपस्थिति रखते हैं. भाजपा के 80 प्रतिशत सांसदों की उपस्थिति 90 से 100 प्रतिशत तक की रेंज में है. इसके बाद 60 प्रतिशत बसपा सांसदों की उपस्थिति 90 से 100 प्रतिशत तक की रेंज में है. इसके वितरित केवल 20 प्रतिशत सपा सांसदों की उपस्थिति 90 से 100 प्रतिशत तक की रेंज में दर्ज की गई है.

सांसदों के पास प्रश्नों के रूप में एक विशेष उपकरण होता है, जिसके माध्यम से वे सरकार से सवाल पूछ सकते हैं. इसके माध्यम से वे अपने निर्वाचन क्षेत्र, अपने आसपास के क्षेत्र, अपने राज्य या किसी अन्य राष्ट्रीय समस्या पर सरकार का ध्यान आकर्षित कर सकते हैं. शोध के अनुसार, उत्तर प्रदेश के सांसदों ने राष्ट्रीय औसत के रूप में 66 प्रश्नों की तुलना में औसतन 44 प्रश्न पूछे. अखिलेश यादव और सोनिया गांधी ने इस दौरान सरकार से कोई भी सवाल नहीं पूछा.

वहीं भाजपा के 19 सांसदों और बसपा के एक सांसद ने 66 सवालों के राष्ट्रीय औसत से ज्यादा सवाल पूछे हैं. सपा और कांग्रेस सांसदों में से किसी ने भी राष्ट्रीय औसत से ज्यादा सवाल नहीं पूछे. भाजपा के 23 और बसपा के चार सांसदों ने राज्य के 44 सवालों के औसत से ज्यादा सवाल पूछे. संसद में अपने अध्यक्ष अखिलेश यादव के निराशाजनक प्रदर्शन अलावा समाजवादी पार्टी के अन्य किसी सांसद ने भी राज्य के औसत से भी ज्यादा नहीं पूछे हैं.

उत्तर प्रदेश के 11 सांसदों ने इस दौरान 100 से ज्यादा सवाल पूछे, जो राष्ट्रीय औसत से काफी ज्यादा थे. इन सांसदों में जगदंबिका पाल, विजय कुमार दुबे, रवींद्र श्यामनारायण, कौशल किशोर, हरीश चंद्र उर्फ हरीश द्विवेदी, अशोक कुमार रावत, रवींद्र कुशवाहा, अजय मिश्रा टेनी, विनोद कुमार सोनकर, पुष्पेंद्र सिंह चंदेल और भोला सिंह शामिल हैं. इसके बाद 87 सवालों के साथ, बसपा के रितेश पांडे, गैर-भाजपा सांसदों में सरकार से सवाल पूछने के मामले में सबसे ऊपर रहे हैं. यह भी पढ़ें: केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले की बड़ी भविष्यवाणी, कहा- नरेंद्र मोदी 2024 में तीसरी बार बनेंगे प्रधानमंत्री

शोध के अनुसार, उत्तर प्रदेश के सांसदों ने 21.2 बहसों के राष्ट्रीय औसत के मुकाबले औसतन 25.4 बहसों में भाग लिया. अखिलेश यादव ने केवल 4 बहसों में भाग लिया, जबकि सोनिया गांधी ने महज एक बहस में हिस्सा लिया. उल्लेखनीय है कि भाजपा के पुष्पेंद्र सिंह चंदेल ने 510 बहसों में और बसपा के मलूक नागर ने 139 बहसों में भाग लिया, जो राष्ट्रीय औसत से काफी अधिक है.

शोध के अनुसार, उत्तर प्रदेश के सांसदों ने औसतन 0.3 निजी सदस्य बिल पेश किए, जो राष्ट्रीय औसत के बराबर है. अखिलेश यादव और सोनिया गांधी ने संसद में कोई निजी सदस्य बिल पेश नहीं किया. उत्तर प्रदेश के केवल 9 सांसदों ने संसद में निजी सदस्य विधेयक पेश किए और ये सभी 9 सांसद भाजपा के हैं.

उल्लेखनीय है कि भाजपा के पुष्पेंद्र सिंह चंदेल, अजय मिश्रा टेनी और रवींद्र श्यामनारायण ने इस अवधि में चार-चार निजी सदस्य बिल पेश किए, जो राष्ट्रीय औसत से काफी ऊपर है.