अजमेर दरगाह का होगा सर्वे? शिव मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका कोर्ट ने की मंजूर
Ajmer Dargah | X

जयपुर: अजमेर ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह के पहले शिव मंदिर होने के दावा मामले में कोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है. सिविल कोर्ट (वेस्ट) के जज मनमोहन चंदेल ने एक याचिका को सुनवाई योग्य मानते हुए बड़ा आदेश दिया है. इस याचिका में दावा किया गया है कि दरगाह के स्थान पर पहले एक प्राचीन शिव मंदिर था. अब कोर्ट ने इस मामले में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) को सर्वेक्षण करने के लिए नोटिस जारी करने के निर्देश दिए हैं.

क्या है मामला?

हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने अपने वकीलों रामनिवास बिश्नोई और ईश्वर सिंह के माध्यम से याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया है कि अजमेर दरगाह का क्षेत्र पहले संकट मोचन शिव मंदिर था.

याचिकाकर्ताओं ने 1910 में प्रकाशित हर विलास शरदा की एक पुस्तक का हवाला दिया, जिसमें इस स्थान को शिव मंदिर बताया गया है. कोर्ट में दस्तावेज और ऐतिहासिक तथ्यों के प्रमाण पेश किए गए, जो इस दावे को समर्थन देते हैं.

याचिकाकर्ताओं की मांग है कि दरगाह का ASI सर्वेक्षण कराया जाए और इसे हिंदू समाज को पूजा स्थल के रूप में पुनः स्थापित किया जाए. बुधवार को कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद इसे सुनवाई योग्य मानते हुए दरगाह कमेटी, अल्पसंख्यक विभाग, और एएसआई को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया.

कोर्ट के आदेश के अनुसार, ASI सर्वे के माध्यम से यह पता लगाने का प्रयास किया जाएगा कि क्या वाकई इस स्थान पर पहले एक शिव मंदिर था. अगली सुनवाई 27 नवंबर को निर्धारित की गई है.

दरगाह का इतिहास

अजमेर दरगाह, जो सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह है, न केवल भारत बल्कि दुनिया भर में प्रसिद्ध है. यह स्थान विभिन्न धर्मों के लोगों के लिए आस्था का केंद्र रहा है. हालांकि, हिंदू संगठनों का दावा है कि इस स्थान का मूल स्वरूप शिव मंदिर का था, जिसे बाद में दरगाह में परिवर्तित कर दिया गया. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इसके प्रमाण मंदिर के वास्तुशिल्प और संरचना में मिल सकते हैं.