जनरल कोटा: संसद से पास होने के अगले ही दिन सवर्ण आरक्षण के संविधान संशोधन बिल को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
यह याचिका यूथ फॉर इक्वॉलिटी और वकील कौशलकांत मिश्रा की ओर से दाखिल की गई है. मिश्रा के मुताबिक आरक्षण का आधार आर्थिक नहीं हो सकता. याचिका के मुताबिक विधयेक संविधान के आरक्षण दने के मूल सिद्धांत के खिलाफ है.
आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण देने वाला संविधान संशोधन बिल लोकसभा और राज्यसभा से पास होने के बाद अब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंच चुका है. संसद से इस बिल को मंजूरी मिलने के अगले ही दिन सुप्रीम कोर्ट में एक संगठन ने याचिका दायर कर चुनौती दी है. यह याचिका यूथ फॉर इक्वॉलिटी (Youth for Equality) और वकील कौशलकांत मिश्रा (Kaushal Kant Mishra) की ओर से दाखिल की गई है. मिश्रा के मुताबिक आरक्षण का आधार आर्थिक नहीं हो सकता. याचिका के मुताबिक विधयेक संविधान के आरक्षण दने के मूल सिद्धांत के खिलाफ है साथ ही यह सामान्य वर्ग को आरक्षण देने के साथ-साथ 50 फीसदी की सीमा का भी उल्लंघन करता है.
यूथ फॉर इक्वैलिटी नाम के संगठन की याचिका में संविधान संशोधन को आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ बताया है. सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कानून रद करने की मांग की है. यूथ फॉर इक्वैलिटी द्वारा दायर याचिका में इन्दिरा साहनी फैसले का हवाला देकर कहा गया है कि सिर्फ आर्थिक आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता. ये असंवैधानिक है. याचिका में यह भी कहा गया है कि गरीबों को 10 फीसदी आरक्षण का प्रावधान नागराज बनाम भारत सरकार मामले में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के भी खिलाफ है. याचिका में परिवार की 8 लाख रुपये सालाना आय के पैमाने पर भी सवाल उठाया गया है. यह भी पढ़ें- सवर्ण आरक्षण: अगर सुप्रीम कोर्ट में गया मामला तो बढ़ेगी सरकार की मुश्किलें, इन चुनौतियों का करना होगा सामना
बता दें कि बुधवार को सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर तबकों को सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में 10 फीसदी आरक्षण पर राज्यसभा में भी मुहर लग गई. लोकसभा के बाद राज्यसभा ने भी बुधवार को सामान्य वर्ग के गरीबों के आरक्षण संबंधी 124वें संविधान संशोधन विधेयक को पारित कर दिया. सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए नौकरी और शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण के भारतीय संविधान में 103वां संशोधन किया गया है.