मोदी सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को दिया गिफ्ट, सैलरी में होगा और इजाफा

केंद्र की मोदी सरकार ने आगामी लोकसभा चुनाव से पहले सरकारी कर्मचारियों को बड़ा तोहफा दिया है, जिसके बाद उनके वेतन में बड़ा इजाफा होने वाला है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रेलवे कर्मचारियों का रनिंग अलाउंस दोगुना बढ़ाने का फैसला लिया गया है.

पीएम मोदी (Photo Credits: PTI)

केंद्र की मोदी सरकार ने आगामी लोकसभा चुनाव से पहले सरकारी कर्मचारियों को बड़ा तोहफा दिया है, जिसके बाद उनके वेतन में बड़ा इजाफा होने वाला है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रेलवे कर्मचारियों का रनिंग अलाउंस (Running Allowance) दोगुना बढ़ाने का फैसला लिया गया है. रेलवे ने अपने गार्ड्स, लोको पायलट्स और असिस्टेंट लोको का रनिंग अलाउंस बढ़ाने का फैसला किया है. इन रेल कर्मचारियों को 7वें वेतन आयोग के तहत रनिंग एलाउंस या भत्ते मिलने शुरू हो जाएंगे. खास बात यह है कि यह रनिंग अलाउंस सीधा दोगुना किया जा रहा है.

गार्ड्स, लोको पायलट्स और असिस्टेंट लोको पायलट्स का रनिंग अलाउंस 255 रु. प्रति 100 किमी. है, जो कि अब 520 रु. होने वाला है. रेलवे अलाउंस को लेकर रनिंग स्टाफ में लंबे समय से खींचतान चल रही थी. 2016 में अलाउंस कमेटी की सिफारिश पर जून 2018 में रेलवे बोर्ड ने रनिंग अलाउंस को दोगुना करने का आदेश दे दिया. यह भी पढ़ें- मोदी सरकार की किसानों को बड़ी सौगात, राहत पैकेज की स्कीम तैयार, खेती के लिए मिलेंगे पैसे

इस महीने लग जाएगी फैसले पर मुहर 

रेलवे बोर्ड के इस फैसले पर इसी महीने वित्त मंत्रालय की मुहर लग जाएगी. इसके बाद ड्राइवर-गार्ड को बढ़े हुए अलाउंस मिलने शुरू हो जाएगा. इसमें मेल-एक्सप्रेस, राजधानी, शताब्दी, सुपर फास्ट ट्रेनों व मालगाड़ी के लोको पायलट व गार्ड को प्रत्येक 100 किलोमीटर चलने पर 525 रुपये मिलने शुरू हो जाएंगे. इस प्रकार एक लोको पायलट-गार्ड प्रति माह 12,000 से 25,000 रुपये (जूनियर और सीनियर के अनुसार) अधिक कमाई करेगा. रेलवे अधिकारी के मुताबिक यात्री ट्रेनों और मालगाड़ी के लोको पायलट व गार्ड के रनिंग अलाउंस में एक और दो रुपये का अंतर होता है.

बोर्ड के इस फैसले से एक ओर जहां कर्मचारियों के चेहरे खिलेंगे वहीं दूसरी ओर से घाटे में चल रहे रेलवे पर वित्तीय बोझ भी पड़ेगा. जानकारों का कहना है कि इस फैसले से रेलवे पर सालाना करीब 2400 करोड़ रुपये का बोझ बढ़ जाएगा. रेलवे का आपरेटिंग अनुपात लगातार बढ़ रहा है. अप्रैल 2018 से यह अनुपात 100 से 117 प्रतिशत तक पहुंच गया है. रेलवे की कमाई अगर सौ रुपये है तो खर्च 117 रुपया हो रहा है.

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