मुरादाबाद, 22 सितम्बर: मुरादाबाद (Moradabad) में 2010 में दो दलित बहनों को आग लगाने के मामले में एक विशेष एससी/एसटी अदालत ने सात लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई है. 18 दिसंबर, 2010 को कोठीवाल नगर में एक दोहरे हत्याकांड का विरोध करने वाली भीड़ ने बहनों को जिंदा जला दिया था, जिसमें उनका भाई आरोपी था. यह भी पढ़े: West Bengal: बच्ची की हत्या के आरोप में मां और उसके प्रेमी को मौत की सजा
26-पृष्ठ के आदेश में, विशेष एससी / एसटी अदालत की न्यायाधीश संध्या चौधरी ने सात आरोपियों को अतिरिक्त जिला सरकारी वकील (एडीजीसी) आनंद पाल सिंह द्वारा पेश किए गए सबूतों के आधार पर दोषी पाया. मामले में दोषी ठहराए गए लोगों में सतीश मदान, सागर भांडुला, बंटी मलिक, आशा सचदेवा, अमरजीत कौर, विनोद कक्कड़ और सानिया कोहली शामिल हैं. अदालत ने उन पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया. एडीजीसी ने कहा कि उन्हें मुरादाबाद की जिला जेल भेज दिया गया है.
ज्ञात हो कि घटना वाले दिन राजो के घर के बाहर भीड़ जमा हो गई थी और घर में आग लगा दी थी. जब वह बाल-बाल बच गई, तो उसकी बेटियों गीता (22) और मोनू (20) को आग में जिंदा जला दिया गया था. राजो के बेटे राकेश पर 9 दिसंबर, 2010 को एक डकैती के दौरान 30 वर्षीय महिला और उसकी आठ वर्षीय बेटी की हत्या का आरोप लगाया गया था. इसके बाद पुलिस ने राकेश और उसके भाई राजेश को गिरफ्तार कर लिया था.